एक महिला के लिए मां बनना एक बेहद खूबसूरत एहसास होता है। प्रेगनेंसी सिर्फ शरीर में ही नहीं, बल्कि मन और सोच में भी बदलाव लाती है। इस दौरान खुशी, डर, चिंता और मातृत्व सब एक साथ महसूस होते हैं। 9 महीनों के दौरान प्रेगनेंट महिला के शरीर में कई बदलाव आते हैं, जो उसे मानसिक रूप से एक नया अनुभव देते हैं। इसी यात्रा के दौरान कई शारीरिक बदलाव होते हैं और उन्हीं में से एक है प्रेगनेंसी में पेट दर्द।
ज्यादातर महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान पेट में दर्द होना सामान्य है और इसे लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होती। लेकिन कुछ खास स्थितियों में यह दर्द किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि पेट में दर्द कब नॉर्मल होता है, इसके कारण क्या हैं, इसे कैसे कम किया जा सकता है और किन परिस्थितियों में आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए।
हां, प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हल्का दर्द या ऐंठन होना सामान्य बात है। यह दर्द शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों के कारण होता है, क्योंकि उस समय महिला का शरीर नई जिंदगी को बनाने और संभालने के लिए खुद को तैयार कर रहा होता है। लेकिन कई बार पेट दर्द कुछ दूसरे कारणों की वजह से भी हो सकता है। ऐसे में आपको स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना जरूरी हो जाता है।
प्रेगनेंसी का समय बहुत सेंसिटिव होता है और इस दौरान आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है। 9 महीने के सफर में आपको पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है, जिसके कुछ कारण नीचे दिए गए हैं-
जब बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होता है, तो यूट्रस भी फैलने लगता है। यूट्रस को सहारा देने के लिए एक पतली और मजबूत पट्टी होती है, जिसे राउंड लिगामेंट कहते हैं। जब बच्चा बढ़ता है, तो ये लिगामेंट खिंचती हैं, जिसकी वजह से पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द महसूस हो सकता है। आमतौर पर प्रेगनेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में पेट दर्द होना (things to expect in 2nd trimester of pregnancy) आम होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान एक समय ऐसा आता है जब पेट के निचले हिस्से में हल्की ऐंठन या खिंचाव जैसा महसूस होता है, जिसे प्रैक्टिस कॉन्ट्रैक्शन (practise contraction) कहते हैं। यह दर्द लेबर पेन की तरह ही होता है लेकिन यह असली नहीं होता, बल्कि यह महिला के शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार करता है। आमतौर पर दूसरे ट्राइमेस्टर में यह दर्द शुरू होता है। हालांकि, यह पेट दर्द लगातार नहीं होता, बल्कि कभी-कभी होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान गैस (गैस की वजह से पेट फूलने के घरेलू उपचार क्या हैं), एसिडिटी (एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के घरेलू नुस्खे) और पेट में भारीपन महसूस होना आम बात है। यह कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन इस पर ध्यान देना जरूरी है। आमतौर पर प्रेगनेंसी के समय शरीर में हार्मोन बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं, जिसकी वजह से डाइजेशन (digestion) धीमा पड़ जाता है और खाना जल्दी डायजेस्ट नहीं होता। इसी वजह से पेट में गैस, कब्ज जैसी समस्या पैदा हो जाती है और दर्द महसूस होने लगता है।
आमतौर पर सामान्य प्रेगनेंसी में बच्चा यूट्रस के अंदर होता है। लेकिन एक्टोपिक प्रेगनेंसी में बच्चा यूट्रस के बाहर होता है। यह एक गंभीर मेडिकल स्थिति होती है, जहां बच्चे का विकास नहीं होता और यह स्थिति गर्भवती महिला की जान के लिए भी खतरा बन सकती है।
प्रेगनेंसी के दौरान यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI – Symptoms & Prevention), समय से पहले लेबर पेन (Labour Pain Management), मिसकैरेज (गर्भपात के बाद गर्भधारण: समय, स्वास्थ्य और सलाह) का खतरा, गॉल ब्लैडर में पथरी, अपेंडिक्स में सूजन, प्लेसेंटा का खिसकना या फटना और यूट्रस में सूजन भी पेट दर्द का कारण हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान हल्का पेट दर्द होना आम बात है और इस दर्द को कुछ आसान घरेलू तरीकों से अपनाकर आराम पाया जा सकता है:
प्रेगनेंसी के दौरान मसल्स और लिगामेंट्स पर खिंचाव आने लगता है, जिससे पेट के नीचे हल्का दर्द महसूस हो सकता है। इस दर्द को कम करने के लिए प्रेगनेंट महिलाएं हल्की स्ट्रेचिंग (stretching) कर सकती हैं। पेट दर्द को कम करने के लिए आप धीरे-धीरे चल सकती हैं।
प्रेगनेंट वुमेन के लिए खास योगासन बनाए गए हैं, जिनकी मदद से फ्लेक्सिबिलिटी और मांसपेशियों को आराम मिल सकता है। आपको किसी योगा ट्रेनर की देखरेख में योग करना सही रहेगा। प्रेगनेंसी के दौरान आप स्विमिंग करके मांसपेशियों में खिंचाव को भी कम कर सकती हैं।
यह एक आसान एक्सरसाइज है, जो पेट और पीठ दर्द को कम कर सकती है। इसे दीवार या मीन पर बैठकर किया जा सकता है। आप किसी योगा ट्रेनर से सीख सकती हैं।
आप पेट के निचले हिस्से या कमर पर हॉट वाटर बैग की मदद से सिकाई कर सकती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान दिन में एक बार गुनगुने पानी से नहाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है और इससे शरीर को आराम मिलता है।
आजकल बाजार में पेट और पीठ को सपोर्ट करने वाली बेल्ट मिलती हैं, जिन्हें गर्भवती महिलाएं आराम से पहन सकती हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान गैस, कब्ज या पाचन में गड़बड़ी से पेट दर्द होना आम समस्या है। ऐसे में आपको दिन में 3 बार खाना खाने की जगह 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाना सही रहेगा। इससे पेट पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता और खाना आराम से हजम हो जाता है। आपको रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान आपको थोड़ा आराम करना जरूरी होता है। ज्यादा देर तक खड़े होकर या बैठकर काम न करें। सोते समय अपनी पीठ के नीचे और घुटनों के बीच तकिया रखें। इससे शरीर को सहारा मिलता है और दर्द कम हो सकता है। अगर आपको खांसी या छींक आती हैं, तो थोड़ा झुक जाएं। इससे पेट के निचले हिस्से में खिंचाव कम पड़ता है।
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प्रेगनेंसी के दौरान हल्का दर्द या परेशानी होना सामान्य बात हो सकती है, लेकिन कुछ खास स्थितियों में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी हो जाता है। अगर आपको नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी महसूस हो रहा है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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प्रेगनेंसी एक बहुत ही खास और बदलावों से भरा समय होता है। इस समय आपके शरीर में बहुत तरह के बदलाव हो रहे होते हैं, जिसकी वजह से पेट में होने वाली परेशानियां आम हो जाती हैं, जिन्हें आप घरेलू तरीकों से ठीक कर सकती हैं। लेकिन अगर परेशानी बढ़ती जा रही है, तो आपको किसी अनुभवी गायनोलॉजिस्ट (Gynaecologist) से संपर्क करना चाहिए और अपनी प्रेगनेंसी की यात्रा को खूबसूरत बनाना चाहिए।
हां, प्रेगनेंसी के दौरान पेट में दर्द होना सामान्य है, खासकर पहली और दूसरी तिमाही में क्योंकि उस समय बच्चा बढ़ रहा होता है और गर्भाशय में खिंचाव हो रहा होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हल्का दर्द होना सामान्य है, लेकिन ज्यादा दर्द होना खतरे का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर को जाकर जांच कराएं।
प्रेगनेंसी के दौरान पेट में दर्द और सूजन होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें शारीरिक, हार्मोनल बदलाव और पाचन से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं।
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