Summary – प्रेगनेंसी एक महिला की जिंदगी की सबसे खूबसूरत यात्रा होती है। आमतौर पर जब फर्टिलाइज एग यूट्रस की दीवार पर चिपक जाता है, तो उसे इम्प्लांटेशन कहते हैं। वहीं इम्प्लांटेशन के 6 से 12 दिन बाद महिलाओं को प्रेगनेंसी के लक्षण पीरियड से पहले महसूस होने लगते हैं।
हर महिला के जीवन में प्रेगनेंसी एक बेहद खास और भावनात्मक यात्रा होती है। मां बनना केवल एक बायोलॉजिकल प्रोसेस नहीं है, बल्कि यह एक सुंदर और अनुभवी एहसास है। जब एक महिला के भीतर एक नई जिंदगी पनपती है, तो वह केवल शारीरिक रूप से नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से भी बदलने लगती है। उसके सपनों और सोच में एक नन्ही-सी मुस्कान बसने लगती है। मां बनने में बेचैनी भी है और उम्मीद भी। प्रेगनेंसी के सफर को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, इसे केवल दिल से समझा जा सकता है। कई बार महिलाएं पीरियड मिस होने से पहले ही अपने शरीर में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों को महसूस करने लगती हैं और उन्हें एहसास होने लगता है कि शायद वह प्रेगनेंट है?
पीरियड्स मिस होना प्रेगनेंसी का एक मुख्य लक्षण भी है, और यदि आपके भी पीरियड्स मिस हुए हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें और परामर्श लें।
आमतौर पर प्रेगनेंसी के लिए ओव्यूलेशन का टाइम जरूरी होता है। जब महिला के शरीर में ओव्यूलेशन होता है, तब ओवरी से एक एग निकलता है और फैलोपियन ट्यूब में पहुंचता है। वहां वह स्पर्म का इंतजार करता है। अगर 12 से 24 घंटे के अंदर आप शारीरिक संबंध बनाते हैं और स्पर्म उस एग तक पहुंच जाता है, तो वह एग फर्टिलाइज (egg fertilization) हो जाता है। इसके बाद यह भ्रूण बनता है और महिला के गर्भाशय (uterus) की दीवार पर चिपक जाता है, इसे इम्प्लांटेशन (Embryo Implantation) कहा जाता है। कुछ महिलाओं को इस समय हल्की ब्लीडिंग (light bleeding) होने लगती है, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग (implantation bleeding) कहते हैं।
जब फर्टिलाइज एग यूट्रस में चिपकता है, तब महिला के शरीर में कुछ हार्मोन जैसे कि एचसीजी (hCG), प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) और एस्ट्रोजेन (Estrogen) तेजी से बढ़ने लगते हैं। इन हार्मोन्स की वजह से शरीर में बदलाव महसूस होने लगते हैं। यह बदलाव आपको पीरियड्स (periods) से पहले भी महसूस हो सकते हैं।
कई बार पीरियड शुरू होने से पहले ही महिलाएं प्रेगनेंट होने के हल्के संकेत महसूस करने लगती हैं। प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-
जब एग निकलकर स्पर्म से मिलकर फर्टिलाइल हो जाता है और फिर एग यूट्रस की दीवार में जाकर चिपक जाता है, तब उस समय कुछ महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग होती है।
कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी की शुरुआत में हल्की मरोड़, पेट और पैर में ऐंठन भी महसूस हो सकती है।
अगर ओव्यूलेशन के 15-20 दिन बाद भी टेम्परेचर ज्यादा बना रहता है, तो यह प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से ज्यादा थकान और नींद महसूस हो सकती है। इसके अलावा, उन्हें पेट के नीचे भारीपन लग सकता है और चलने-फिरने के तरीके में थोड़ा बदलाव भी आ सकता है।
प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में ब्रेस्ट नरम और भारी महसूस हो सकते हैं। कुछ महिलाओं के निप्पल के आसपास की स्किन गहरे रंग के भी हो सकती है।
आमतौर पर प्रेगनेंसी की शुरुआत में महिलाओं को मतली और उलटी महसूस होना आमबात है। आपको पीरियड से पहले मॉर्निग सिकनेस लग सकती है।
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से उनका मूड स्विंग (mood swings during pregnancy) होना सामान्य है। पीरियड से पहले महिलाएं ऐसा महसूस कर सकती हैं।
प्रेगनेंसी की शुरुआत में महिलाओं का ब्लड प्रेशर और शुगर कम हो सकता है, जो सिरदर्द और चक्कर का कारण बन सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान पाचन क्रिया पर भी असर पड़ता है और महिलाओं को कब्ज की शिकायत हो सकती है। इसकी वजह पानी कम पीना, खानपान और हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं।
कई बार प्रेगनेंट महिलाओं को अपने फेवरेट फूड से चिढ़ होने लगती है। उन्हें हर चीज की स्मेल बहुत तेज लगती है। उनके मुंह का स्वाद कसैला हो जाता है, जिसकी वजह से उन्हें खट्टा खाने का मन करता है।
प्रेगनेंसी की शुरुआत में बार-बार पेशाब लगना आम बात है, क्योंकि उस समय खून की मात्रा बढ़ने लगती है और किडनी पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है।
आमतौर पर प्रेगनेंसी के लक्षण पीरियड से एक हफ्ते पहले और ओव्यूलेशन के 6 से 12 दिन के बाद आपको महसूस होने लग सकते हैं। आपको बता दें कि हर महिला में लक्षण अलग हो सकते हैं। किसी में एक या दो, तो किसी में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई दे सकता है। हालांकि लक्षण नहीं भी दिखाई देते हैं, तो भी प्रेगनेंसी मुमकिन है।
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आमतौर पर पीरियड्स आने से पहले महिलाओं को पेट दर्द, मूड स्विंग या ब्रेस्ट में दर्द जैसे लक्षण महसूस होते हैं जिसे PMS (प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) कहते हैं। लेकिन यही लक्षण प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण भी हो सकते हैं। ऐसे में PMS और प्रेगनेंसी के लक्षणों को समझ पाना मुश्किल हो सकता है।
लक्षण | पीएमएस (PMS-Pre Menstrual Syndrome) | प्रेगनेंसी |
क्रैम्प्स (cramps) | आमतौर पर पीरियड के दौरान तेज और दर्दभरी ऐंठन होती है। | प्रेगनेंसी की शुरुआत में हल्की और रुक-रुक कर होने वाली ऐंठन हो सकती है। |
मूड स्विंग | पीरियड से पहले चिड़चिड़ापन या उदासी महसूस हो सकती है। | प्रेगनेंसी की शुरुआत में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से मूड स्विंग होते हैं। |
मतली (उल्टी जैसा लगना) | पीरियड में कुछ महिलाओं को कभी-कभी उल्टी महसूस होती है। | प्रेगनेंसी में मतली या उल्टी आना आमबात है। |
ब्रेस्ट में दर्द | पीरियड शुरू होने से पहले ब्रेस्ट में हल्का दर्द और कोमलता आ जाती है। | प्रेगनेंसी की शुरुआत में दर्द ज्यादा हो सकता है और ब्रेस्ट में भारीपन लगता है। |
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यदि आपको पीरियड से पहले प्रेगनेंट होने के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आप इसकी पुष्टि कर सकते हैं।
आमतौर पर पीरियड मिस होने पर यह टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से आपके यूरिन में HCG हार्मोन को पहचानने में मदद मिलती है। आमतौर पर सबसे अच्छा रिजल्ट पीरियड मिस होने के 1 हफ्ते बाद मिलता है। यह टेस्ट सुबह की पहली यूरिन से किया जाता है।
आप ब्लड के जरिए क्वालिटेटिव और क्वांटिटेटिव टेस्ट कराकर प्रेगनेंसी का पता कर सकते हैं। आप हमारे हॉस्पिटल (CK Birla Hospital) में जाकर इसकी जांच करा सकते हैं।
आमतौर पर अल्ट्रासाउंड पीरियड मिस होने के 5 से 6 हफ्ते बाद किया जाता है। डॉक्टर इस टेस्ट के जरिए देखते हैं कि फीटस (fetus) सही जगह पर और स्वस्थ है या नहीं।
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आमतौर पर प्रेगनेंसी की शुरुआत हैप्पी और हेल्दी होती है। लेकिन अगर आपको ज्यादा दर्द और ब्लीडिंग हो रही है, लगातार चक्कर और उल्टी आ रही है या फीवर, वायरल जैसी समस्या हो रही है, तो आपको हमारे अनुभवी गायनोलॉजिस्ट (gynaecologist) से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
जी हां, प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में आपको पीरियड जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। आपको पेट में ऐंठन, हल्की स्पॉटिंग आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
आमतौर पर कंसीव करने के 3-4 दिन बाद ही प्रेगनेंसी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
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