Key takeaways
हम यह समझते हैं कि प्रेगनेंसी एक खूबसूरत सफर है और इस सफर में आपके मन में कई अनगिनत सवाल भी उठते होंगे। जब भी प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड होता है, तो एक डर या खतरा महिलाओं के मन में मंडराता रहता है कि उनका बच्चा स्वस्थ होगा या नहीं। सभी परिवार, खासतौर पर महिलाएं यह नहीं सुनना चाहती कि प्रेगनेंसी में कोई समस्या है। उन सभी समस्याओं में से ‘पोस्टीरियर प्लेसेंटा’ एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में अक्सर महिलाओं को गलत जानकारी होती है।
यदि आप अपने और अपने बच्चे की सुरक्षा, विकास और भविष्य को लेकर विचार कर रहे हैं, तो आपके मन के सभी सवालों के जवाब इस ब्लॉग से आपको मिल जाएंगे। हर गर्भवती मां के अच्छे स्वास्थ्य, बच्चे की सुरक्षित ग्रोथ, और परिवार के सुकून की चाह यही है कि वह सही जानकारी लें और आवश्यकता के अनुसार सही इलाज या कदम उठाएं। प्रेगनेंसी में कोई भी समस्या दिखने पर तुरंत हमारे अनुभवी विशेषज्ञों से मिलें और इलाज के विकल्पों पर बात करें।
भारत में प्रेगनेंसी को लेकर पहले से बहुत सारी बातें चलते आई हैं। वहीं इसी बीच कुछ मेडिकल शब्द है, जिससे वह खुद ही अनजान होती हैं। ऐसे में जब वह अपने अल्ट्रासाउंड के रिपोर्ट में ‘पोस्टीरियर प्लेसेंटा’ लिखा देखती हैं, तो वह घबरा जाती हैं कि यह क्या चीज है।
पोस्टीरियर प्लेसेंटा वह स्थिति है, जब आपकी नाल या प्लेसेंटा (placenta) गर्भाशय की पिछली दीवार यानी पीठ (रीढ़) की ओर जुड़ी होती है। अक्सर इस स्थिति को सामान्य स्थिति में ही गिना जाता है और खतरे का संकेत नहीं माना जाता है। करीब 70-75% महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान यह स्थिति देखी जाती है, और यह डिलीवरी, बच्चे के विकास या मां की सेहत के लिए आमतौर पर कोई परेशानी नहीं होती है। यदि आपके रिपोर्ट में पोस्टीरियर प्लेसेंटा लिखा है, तो घबराइए नहीं। यह एक सामान्य अवस्था है, जो स्वस्थ गर्भावस्था के साथ जुड़ी रहती है और यदि आपके मन में संदेह है, तो तुरंत एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें और उनसे अपने प्रश्नों के उत्तर को जानें।
हमें यह समझना पड़ेगा कि प्लेसेंटा मां और अजन्मे बच्चे के बीच के बीच एक जीवन बचाने वाला पुल है, जो बच्चे को वह सारे आवश्यक एवं पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे वह सारा समय मां के गर्भ में जीवित और स्वस्थ रहे। यह मुख्यतः इन कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है –
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 13 करोड़ गर्भवती महिलाओं में, 95% में प्लेसेंटा का विकास बिलकुल सामान्य ढंग से होता है, जिससे मां और बच्चे दोनों सुरक्षित रहते हैं।
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अक्सर डॉक्टर दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड में प्लेसेंटा की स्थिति की जांच कर लेते हैं। चलिए उन सभी प्लेसेंटा की स्थितिओं के बारे में जानते हैं और समझते हैं कि उसका क्या प्रभाव होता है।
स्थिति | स्थान | प्रभाव/महत्व |
पोस्टीरियर (posterior placenta) | पीठ की ओर | हलचल जल्दी महसूस होती है, सामान्य डिलीवरी की संभावना अधिक होती है। |
एंटीरियर (anterior placenta) | पेट की ओर | शिशु की हलचल देर से महसूस हो सकती है और कोई विशेष खतरा नहीं होता है। |
फंडल (fundal placenta) | गर्भाशय का ऊपरी भाग | सबसे सुरक्षित, सभी ओर से स्पेस उपलब्ध है। |
लो-लाइंग/प्रीविया (low-lying/previa placenta) | गर्भाशय-मुख के पास | जटिलता/ब्लीडिंग की संभावना होती है। इसमें विशेष निगरानी की जरूरत होती है। |
लैटरल (lateral placenta) | दाएँ या बाएँ दीवार | सामान्य, और अक्सर इसमें कोई समस्या नहीं होती है। |
गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा कभी-कभी ऊपर, साइड या पीछे-नीचे भी खिसक सकता है (placental migration), जो ज्यादातर मामलों में डिलीवरी के समय तक सही स्थान पर आ जाता है। इसलिए समय-समय पर डॉक्टर से जांच और परामर्श आवश्यक होता है।
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पोस्टीरियर प्लेसेंटा एक सामान्य स्थिति है, जिसके कुछ फायदे भी होते हैं जैसे कि –
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पोस्टीरियर प्लेसेंटा सामान्य है, पर कुछ महिलाओं को अपनी प्रेगनेंसी के दौरान निम्न समस्याएं हो सकती हैं –
किसी भी असामान्य दर्द, अचानक ब्लीडिंग, या हलचल में बदलाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
प्लेसेंटा मां और बच्चे के बीच जीवन का सबसे अहम सेतु है। इसके बिना प्रेगनेंसी की कल्पना ही मुश्किल है। यदि ऐसा नहीं होता है या फिर प्लेसेंटा अपना सामान्य काम नहीं कर पा रहा है, तो शिशु का विकास सही से नहीं हो पाता है, जिसके कारण प्री-टर्म डिलीवरी (preterm delivery/labour) या गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
हमेशा याद रखें, हर माँ और परिवार के लिए प्लेसेंटा की स्थिति और सेहत पर ध्यान देना, डॉक्टर के संपर्क में रहना, और नियमित चेकअप कराना सबसे असरदार रास्ता है। स्वस्थ माँ और बच्चे के भविष्य के लिए प्लेसेंटा की स्वस्थ बहुत ज्यादा आवश्यक है।
यदि आप भी अपने गर्भावस्था की रिपोर्ट या पोस्टीरियर प्लेसेंटा को लेकर संशय में हैं, तो आज ही विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें या ऑनलाइन अपनी रिपोर्ट साझा करें। इसके लिए आप हमारे अनुभवी डॉक्टर से भी परामर्श ले सकते हैं।
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क्या पोस्टीरियर प्लेसेंटा में खतरा है?
नहीं! 95% से ज्यादा मामलों में यह एकदम सामान्य व सुरक्षित स्थिति है। बस किसी भी असामान्य दर्द, ब्लीडिंग या हलचल कम होने पर डॉक्टर को बताएं।
क्या प्लेसेंटा की स्थिति बदल सकती है?
हां, विशेषकर शुरुआती महीनों में, जैसे-जैसे आपका गर्भाशय बढ़ता है, प्लेसेंटा ऊपर या साइड में खुद-ब-खुद सरक सकता है, जिसे मेडिकल भाषा में ‘प्लेसेंटल माइग्रेशन’ कहते हैं।
सबसे अच्छी प्लेसेंटा पोजीशन कौन सी है?
प्लेसेंटा अगर ‘फंडल’ (ऊपर) या ‘पोस्टीरियर’ है और बच्चेदानी, मुख को नहीं ढंके, तो वह सबसे उपयुक्त स्थिति मानी जाती है।
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