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पोस्टीरियर प्लेसेंटा क्या है? गर्भावस्था में प्लेसेंटा की भूमिका

Gynaecology | by Dr Keerti Khetan on August 8, 2025

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Key takeaways

  • पोस्टीरियर प्लेसेंटा का अर्थ है प्लेसेंटा गर्भाशय की पीठ की ओर नाल का होना।
  • यह पूरी तरह सामान्य स्थिति है, चिंता की जरूरत नहीं।
  • इससे बच्चे की हलचल जल्दी और तेज महसूस होती है।
  • इससे सामान्य डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
  • प्लेसेंटा माँ और शिशु के बीच पोषण और ऑक्सीजन का पुल है।
  • लो-लाइंग या असामान्य दर्द हो तो डॉक्टर से तुरंत मिलें।
  • नियमित चेकअप स्वस्थ गर्भावस्था के लिए ज़रूरी है।

हम यह समझते हैं कि प्रेगनेंसी एक खूबसूरत सफर है और इस सफर में आपके मन में कई अनगिनत सवाल भी उठते होंगे। जब भी प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड होता है, तो एक डर या खतरा महिलाओं के मन में मंडराता रहता है कि उनका बच्चा स्वस्थ होगा या नहीं। सभी परिवार, खासतौर पर महिलाएं यह नहीं सुनना चाहती कि प्रेगनेंसी में कोई समस्या है। उन सभी समस्याओं में से ‘पोस्टीरियर प्लेसेंटा’ एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में अक्सर महिलाओं को गलत जानकारी होती है।

यदि आप अपने और अपने बच्चे की सुरक्षा, विकास और भविष्य को लेकर विचार कर रहे हैं, तो आपके मन के सभी सवालों के जवाब इस ब्लॉग से आपको मिल जाएंगे। हर गर्भवती मां के अच्छे स्वास्थ्य, बच्चे की सुरक्षित ग्रोथ, और परिवार के सुकून की चाह यही है कि वह सही जानकारी लें और आवश्यकता के अनुसार सही इलाज या कदम उठाएं। प्रेगनेंसी में कोई भी समस्या दिखने पर तुरंत हमारे अनुभवी विशेषज्ञों से मिलें और इलाज के विकल्पों पर बात करें।

पोस्टीरियर प्लेसेंटा क्या है? (What is Posterior Placenta?)

भारत में प्रेगनेंसी को लेकर पहले से बहुत सारी बातें चलते आई हैं। वहीं इसी बीच कुछ मेडिकल शब्द है, जिससे वह खुद ही अनजान होती हैं। ऐसे में जब वह अपने अल्ट्रासाउंड के रिपोर्ट में ‘पोस्टीरियर प्लेसेंटा’ लिखा देखती हैं, तो वह घबरा जाती हैं कि यह क्या चीज है।

पोस्टीरियर प्लेसेंटा वह स्थिति है, जब आपकी नाल या प्लेसेंटा (placenta) गर्भाशय की पिछली दीवार यानी पीठ (रीढ़) की ओर जुड़ी होती है। अक्सर इस स्थिति को सामान्य स्थिति में ही गिना जाता है और खतरे का संकेत नहीं माना जाता है। करीब 70-75% महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान यह स्थिति देखी जाती है, और यह डिलीवरी, बच्चे के विकास या मां की सेहत के लिए आमतौर पर कोई परेशानी नहीं होती है। यदि आपके रिपोर्ट में पोस्टीरियर प्लेसेंटा लिखा है, तो घबराइए नहीं। यह एक सामान्य अवस्था है, जो स्वस्थ गर्भावस्था के साथ जुड़ी रहती है और यदि आपके मन में संदेह है, तो तुरंत एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें और उनसे अपने प्रश्नों के उत्तर को जानें।

गर्भावस्था में प्लेसेंटा की भूमिका (Role of Posterior Placenta in Pregnancy)

हमें यह समझना पड़ेगा कि प्लेसेंटा मां और अजन्मे बच्चे के बीच के बीच एक जीवन बचाने वाला पुल है, जो बच्चे को वह सारे आवश्यक एवं पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे वह सारा समय मां के गर्भ में जीवित और स्वस्थ रहे। यह मुख्यतः इन कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है – 

  • ऑक्सीजन और पोषण पहुंचाना: प्लेसेंटा की मदद से मां का खून बच्चे तक ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्व पहुंचाता है। उन्हीं की मदद से बच्चों में ग्रोथ होती है।
  • अपशिष्ट बाहर निकालना: शिशु के शरीर से जो भी हानिकारक पदार्थ निकलता है, वह प्लेसेंटा के जरिए मां के रक्त में वापस जाता है और मां का शरीर उसे शरीर से बाहर निकालता है।
  • हार्मोन बनाना: प्लेसेंटा गर्भावस्था को बनाए रखने में सहायक हार्मोन बनाता है, जैसे कि HCG (hcg level in pregnancy), प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन (how to increase estrogen hormone in hindi)
  • संक्रमण से सुरक्षा: यह माँ की एंटीबॉडी बच्चों तक पहुँचाकर संक्रमण और बीमारियों से रक्षा करता है। इसके लिए मां को भी एक स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने की सलाह दी जाती है।
  • बच्चे के अंगों की ग्रोथ: शिशु के मस्तिष्क, फेफड़े और अन्य अंगों के विकास के लिए जरूरी तत्व प्लेसेंटा से ही मिलते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 13 करोड़ गर्भवती महिलाओं में, 95% में प्लेसेंटा का विकास बिलकुल सामान्य ढंग से होता है, जिससे मां और बच्चे दोनों सुरक्षित रहते हैं।

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प्लेसेंटा की स्थिति (पोस्टीरियर, एंटीरियर, आदि) और उसका प्रभाव (Position of Posterior Placenta)

अक्सर डॉक्टर दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड में प्लेसेंटा की स्थिति की जांच कर लेते हैं। चलिए उन सभी प्लेसेंटा की स्थितिओं के बारे में जानते हैं और समझते हैं कि उसका क्या प्रभाव होता है।

 

स्थिति  स्थान प्रभाव/महत्व
पोस्टीरियर (posterior placenta) पीठ की ओर हलचल जल्दी महसूस होती है, सामान्य डिलीवरी की संभावना अधिक होती है।
एंटीरियर (anterior placenta) पेट की ओर शिशु की हलचल देर से महसूस हो सकती है और कोई विशेष खतरा नहीं होता है।
फंडल (fundal placenta) गर्भाशय का ऊपरी भाग सबसे सुरक्षित, सभी ओर से स्पेस उपलब्ध है।
लो-लाइंग/प्रीविया (low-lying/previa placenta) गर्भाशय-मुख के पास जटिलता/ब्लीडिंग की संभावना होती है। इसमें विशेष निगरानी की जरूरत होती है।
लैटरल (lateral placenta) दाएँ या बाएँ दीवार सामान्य, और अक्सर इसमें कोई समस्या नहीं होती है।

 

गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा कभी-कभी ऊपर, साइड या पीछे-नीचे भी खिसक सकता है (placental migration), जो ज्यादातर मामलों में डिलीवरी के समय तक सही स्थान पर आ जाता है। इसलिए समय-समय पर डॉक्टर से जांच और परामर्श आवश्यक होता है।

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पोस्टीरियर प्लेसेंटा और इसके फायदे (Benefits of Posterior Placenta)

पोस्टीरियर प्लेसेंटा एक सामान्य स्थिति है, जिसके कुछ फायदे भी होते हैं जैसे कि – 

  • हलचल जल्दी महसूस होती है: पोस्टीरियर प्लेसेंटा होने से मां को शिशु की हरकत जल्दी और स्पष्ट महसूस होती है। इसके कारण मां को अपने बच्चे का अनुभव होता है।
  • सामान्य प्रसव की संभावना अधिक: इस स्थिति में प्लेसेंटा गर्भाशय-मुख से दूर होता है, जिससे आमतौर पर नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery) में सुविधा होती है।
  • बच्चे को बेहतर ग्रोथ का स्थान: शिशु के घूमने और विकास के लिए ज़्यादा जगह मिलती है, जिससे उसका शारीरिक विकास और सक्रियता बढ़ती है।
  • प्रीविया का जोखिम कम: क्योंकि पोस्टीरियर प्लेसेंटा नीचे नहीं होता, प्लेसेंटा प्रीविया (जहाँ नाल गर्भाशय-मुख ढक लेती है) का जोखिम बहुत कम हो जाता है।

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पोस्टीरियर प्लेसेंटा की संभावित समस्याएं (Complications with Posterior Placenta)

पोस्टीरियर प्लेसेंटा सामान्य है, पर कुछ महिलाओं को अपनी प्रेगनेंसी के दौरान निम्न समस्याएं हो सकती हैं – 

  • पीठ दर्द: पीठ पर अधिक दबाव के कारण कुछ महिलाओं को दर्द महसूस हो सकता है।
  • लो-लाइंग पोस्टीरियर: यदि नाल नीचे की ओर झुकी है, तो डिलीवरी में ब्लीडिंग के खतरे और प्लेसेंटा प्रीविया जैसी जटिलता उत्पन्न हो सकती है।
  • ट्रामा/चोट: गिरना, एक्सीडेंट या दबाव से नाल अलग हो सकती है, जिसका मेडिकल टर्म ‘अब्रप्शन’ (placental abruption) है, जो इमरजेंसी बन सकता है।
  • बहुत कम में संक्रमण/रुकावट: दुर्लभ मामलों में नाल की सही स्थिति न होने से पोषण/ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित हो सकती है और कुछ मामलों में संक्रमण का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है।

किसी भी असामान्य दर्द, अचानक ब्लीडिंग, या हलचल में बदलाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

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प्लेसेंटा का कार्य और इसके बिना गर्भावस्था का विकास 

प्लेसेंटा मां और बच्चे के बीच जीवन का सबसे अहम सेतु है। इसके बिना प्रेगनेंसी की कल्पना ही मुश्किल है। यदि ऐसा नहीं होता है या फिर प्लेसेंटा अपना सामान्य काम नहीं कर पा रहा है, तो शिशु का विकास सही से नहीं हो पाता है, जिसके कारण प्री-टर्म डिलीवरी (preterm delivery/labour) या गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। 

हमेशा याद रखें, हर माँ और परिवार के लिए प्लेसेंटा की स्थिति और सेहत पर ध्यान देना, डॉक्टर के संपर्क में रहना, और नियमित चेकअप कराना सबसे असरदार रास्ता है। स्वस्थ माँ और बच्चे के भविष्य के लिए प्लेसेंटा की स्वस्थ बहुत ज्यादा आवश्यक है।

यदि आप भी अपने गर्भावस्था की रिपोर्ट या पोस्टीरियर प्लेसेंटा को लेकर संशय में हैं, तो आज ही विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें या ऑनलाइन अपनी रिपोर्ट साझा करें। इसके लिए आप हमारे अनुभवी डॉक्टर से भी परामर्श ले सकते हैं।

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क्या पोस्टीरियर प्लेसेंटा में खतरा है?

नहीं! 95% से ज्यादा मामलों में यह एकदम सामान्य व सुरक्षित स्थिति है। बस किसी भी असामान्य दर्द, ब्लीडिंग या हलचल कम होने पर डॉक्टर को बताएं।

क्या प्लेसेंटा की स्थिति बदल सकती है?

हां, विशेषकर शुरुआती महीनों में, जैसे-जैसे आपका गर्भाशय बढ़ता है, प्लेसेंटा ऊपर या साइड में खुद-ब-खुद सरक सकता है, जिसे मेडिकल भाषा में ‘प्लेसेंटल माइग्रेशन’ कहते हैं।

सबसे अच्छी प्लेसेंटा पोजीशन कौन सी है?

प्लेसेंटा अगर ‘फंडल’ (ऊपर) या ‘पोस्टीरियर’ है और बच्चेदानी, मुख को नहीं ढंके, तो वह सबसे उपयुक्त स्थिति मानी जाती है।

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