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गर्भाशय कैंसर के कारण, लक्षण और उपचार (Uterine Cancer in Hindi)

Gynaecology | by Dr. Renu Mathur on Nov 29, 2022 | Last Updated : Sep 13, 2024

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गर्भाशय (बच्चेदानी) का कैंसर क्या है – Uterine Cancer in Hindi

महिलाओं के प्रजनन अंगों में कई तरह के कैंसर होते हैं, गर्भाशय का कैंसर भी उन्हीं में से एक है। इसे एंडोमेट्रियल कैंसर, बच्चेदानी में कैंसर या यूटेराइन कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। जब गर्भाशय की आंतरिक परत में मौजूद कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव आता है तो वे असामान्य रूप से विभाजित और विकसित होने लगती हैं।

कोशिकाओं के असामान्य रूप से विभाजन होने और बढ़ने के कारण गर्भाशय में ट्यूमर बनने लगता है। यह ट्यूमर आगे जाकर कैंसर में बदल जाता है। लोग अक्सर गर्भाशय के कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को एक समझ लेते हैं। हालाँकि, यह दोनों एक दूसरे से भिन्न यानी अलग प्रकार के कैंसर हैं। इस ब्लॉग में आगे हम गर्भाशय कैंसर के प्रकार, चरण, कारण, लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।

गर्भाशय (बच्चेदानी) में कैंसर के प्रकार – Types of Uterine Cancer in Hindi

गर्भाशय कैंसर मुख्यत दो प्रकार के होते हैं जिन्हें यूटराइन सार्कोमा और एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा के नाम से जानते हैं।

  • यूटराइन सार्कोमा (Uterine Sarcoma)

यह गर्भाशय की मांसपेशियों की परत यानी एंडोमेट्रियम या आसपास की उत्तकों में होने वाला कैंसर है।

  • एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा (Endometrial Sarcoma)

यह गर्भाशय की भीतरी परत में होने वाला कैंसर है। गर्भाशय के लगभग सभी कैंसर इसी प्रकार के होते हैं।

गर्भाशय (बच्चेदानी) में कैंसर के चरण – Stages of Uterine Cancer in Hindi

गर्भाशय कैंसर को उसकी गंभीरता के आधार पर चार चरणों में बांटा गया है जिसमें निम्न शामिल हैं:

  • चरण 1: जब कैंसर केवल गर्भाशय में होता है तो उसे पहले चरण में रखा जाता है।
  • चरण 2: इस दौरान, कैंसर गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा में फ़ैल चूका होता है।
  • चरण 3: इस चरण में कैंसर गर्भाशय के बाहर जैसे कि श्रोणि लिम्फ नॉड्स में फ़ैल चूका होता है, लेकिन मूत्राशय या मलाशय में नहीं होता है।
  • चरण 4: जब कैंसर पेल्विक क्षेत्र के बाहर फ़ैल जाता है और मलाशय, मूत्राशय एवं शरीर के अन्य हिस्सों को भी संक्रमित करने लगता है तो उसे चौथे यानी आख़िरी चरण में रखते हैं।

गर्भाशय (बच्चेदानी) में कैंसर के कारण – Causes of Uterine Cancer in Hindi

जब एंडोमेट्रियम की कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन होता है तो वे कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं। असामान्य होने के बाद, ये कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं जिससे ट्यूमर का निर्माण होता है। यह ट्यूमर एक समय के बाद कैंसर में बदल जाता है। अब ख़ास बात यह है कि एंडोमेट्रियम की कोशिकाओं में यह आनुवंशिक परिवर्तन क्यों होता है – इसके कारण की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने पर गर्भाशय कैंसर यानी बच्चेदानी में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन अंडाशय यानी ओवरी में बनने वाले सेक्स हार्मोन हैं। जब इन दोनों के संतुलन में बदलाव आता है तो एंडोमेट्रियम में भी बदलाव आ सकता है। शोध के मुताबिक, अगर एस्ट्रोजेन के स्तर में वृद्धि हो, लेकिन प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि न हो तो एंडोमेट्रियम की परत मोटी हो जाती है जो कैंसर का कारण बन सकती है।

कुछ ऐसे कारक भी हैं जो गर्भाशय कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। इसमें निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • उम्र 60-70 वर्ष से अधिक होना
  • जिन्हें मेनोपॉज आ चूका है
  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
  • मेनोपॉज देर से आना
  • पीरियड्स जल्दी शुरू होना
  • निःसंतानता या कभी प्रेगनेंसी नहीं होना
  • हार्मोनल परिवर्तन होना
  • वजन बढ़ना या मोटापा होना
  • शुगर और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होना

गर्भाशय (बच्चेदानी) में कैंसर के लक्षण – Symptoms of Uterine Cancer in Hindi

गर्भाशय कैंसर से पीड़ित महिला खुद में कुछ लक्षणों को अनुभव कर सकती है। इसके मुख्य लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • योनि से असामान्य रक्तस्राव या स्पॉटिंग होना
  • मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के बाद योनि से सफेद पानी आना
  • मासिक धर्म के बीच रक्तस्राव होना
  • पीरियड्स का सामान्य से अधिक समय तक जारी रहना
  • योनि से अत्यधिक रक्तस्राव होना
  • लंबे समय तक रक्तस्राव होना
  • उम्र 40 से अधिक होने के बाद भी अधिक रक्तस्राव होना
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
  • सेक्स के दौरान दर्द महसूस करना

हालांकि, ये लक्षण दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी हो सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आप खुद में इन लक्षणों को अनुभव करते ही जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श कर इनके सटीक कारण की पुष्टि कराएं। विशेषज्ञ का कहना है कि गर्भाशय कैंसर का निदान इसकी शुरुआती स्टेज में होने पर उपचार के सफल होने की संभावना अधिक होती है।

गर्भाशय (बच्चेदानी) में कैंसर का इलाज – Treatment of Uterine Cancer in Hindi

गर्भाशय कैंसर का उपचार कई तरह से किया जा सकता है जिसमें सर्जरी, रेडियोथेरैपी, हार्मोनल थेरेपी और कीमोथेरेपी शामिल हैं। आमतौर पर सर्जरी से गर्भाशय के कैंसर का उपचार किया जाता है।

हालाँकि, कैंसर की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर एक या एक से अधिक उपचार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। महिला की उम्र, समग्र स्वास्थ्य और दूसरे कई कारक गर्भाशय कैंसर की उपचार में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – FAQs

प्रश्न 1. गर्भाशय कैंसर का आमतौर पर पता कैसे लगाया जाता है?

दूसरी बीमारियों की तरह गर्भाशय कैंसर के भी कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जिनकी मदद से इसका पता लगाया जा सकता है। महिला को गर्भाशय कैंसर है या नहीं इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर लक्षणों के आधार पर कुछ जांच करने का सुझाव देते हैं जैसे कि पेल्विक जांच, पैप टेस्ट, ट्रांसवैजिनल अल्ट्रासाउंड और बायोप्सी आदि।

प्रश्न 2. क्या गर्भाशय का कैंसर ठीक हो सकता है?

हाँ. गर्भाशय के कैंसर को ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए सर्जरी, रेडियोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी और कीमोथेरेपी आदि उपलब्ध हैं। आपके लिए उपचार का कौन सा तरीका बेहतर है, यह गर्भाशय कैंसर के प्रकार, चरण और आपकी उम्र एवं समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। अगर गर्भाशय कैंसर का निदान इसकी शुरुआती चरण में होता है तो उपचार के सफल होने की संभावना अधिक होती है।

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Written and Verified by:

MBBS, MD in OBG Dr. Renu Keshan Mathur is a senior Obstetrician and Gynaecologist with over 32 years of experience. She has done more than 50000 deliveries and more than 10000 gynaecological procedures. Focus areas and procedures High-risk pregnancies Vaginal Birth After Caesarean (VBAC) Hysterectomy Myomectomy Previous work experience Dr. Renu brings with her over 32 years of varied experience...