महिलाओं के प्रजनन अंगों में कई तरह के कैंसर होते हैं, गर्भाशय का कैंसर भी उन्हीं में से एक है। इसे एंडोमेट्रियल कैंसर, बच्चेदानी में कैंसर या यूटेराइन कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। जब गर्भाशय की आंतरिक परत में मौजूद कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव आता है तो वे असामान्य रूप से विभाजित और विकसित होने लगती हैं।
कोशिकाओं के असामान्य रूप से विभाजन होने और बढ़ने के कारण गर्भाशय में ट्यूमर बनने लगता है। यह ट्यूमर आगे जाकर कैंसर में बदल जाता है। लोग अक्सर गर्भाशय के कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को एक समझ लेते हैं। हालाँकि, यह दोनों एक दूसरे से भिन्न यानी अलग प्रकार के कैंसर हैं। इस ब्लॉग में आगे हम गर्भाशय कैंसर के प्रकार, चरण, कारण, लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
गर्भाशय कैंसर मुख्यत दो प्रकार के होते हैं जिन्हें यूटराइन सार्कोमा और एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा के नाम से जानते हैं।
यह गर्भाशय की मांसपेशियों की परत यानी एंडोमेट्रियम या आसपास की उत्तकों में होने वाला कैंसर है।
यह गर्भाशय की भीतरी परत में होने वाला कैंसर है। गर्भाशय के लगभग सभी कैंसर इसी प्रकार के होते हैं।
गर्भाशय कैंसर को उसकी गंभीरता के आधार पर चार चरणों में बांटा गया है जिसमें निम्न शामिल हैं:
जब एंडोमेट्रियम की कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन होता है तो वे कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं। असामान्य होने के बाद, ये कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं जिससे ट्यूमर का निर्माण होता है। यह ट्यूमर एक समय के बाद कैंसर में बदल जाता है। अब ख़ास बात यह है कि एंडोमेट्रियम की कोशिकाओं में यह आनुवंशिक परिवर्तन क्यों होता है – इसके कारण की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने पर गर्भाशय कैंसर यानी बच्चेदानी में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन अंडाशय यानी ओवरी में बनने वाले सेक्स हार्मोन हैं। जब इन दोनों के संतुलन में बदलाव आता है तो एंडोमेट्रियम में भी बदलाव आ सकता है। शोध के मुताबिक, अगर एस्ट्रोजेन के स्तर में वृद्धि हो, लेकिन प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि न हो तो एंडोमेट्रियम की परत मोटी हो जाती है जो कैंसर का कारण बन सकती है।
कुछ ऐसे कारक भी हैं जो गर्भाशय कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। इसमें निम्न शामिल हो सकते हैं:
गर्भाशय कैंसर से पीड़ित महिला खुद में कुछ लक्षणों को अनुभव कर सकती है। इसके मुख्य लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
हालांकि, ये लक्षण दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी हो सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आप खुद में इन लक्षणों को अनुभव करते ही जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श कर इनके सटीक कारण की पुष्टि कराएं। विशेषज्ञ का कहना है कि गर्भाशय कैंसर का निदान इसकी शुरुआती स्टेज में होने पर उपचार के सफल होने की संभावना अधिक होती है।
गर्भाशय कैंसर का उपचार कई तरह से किया जा सकता है जिसमें सर्जरी, रेडियोथेरैपी, हार्मोनल थेरेपी और कीमोथेरेपी शामिल हैं। आमतौर पर सर्जरी से गर्भाशय के कैंसर का उपचार किया जाता है।
हालाँकि, कैंसर की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर एक या एक से अधिक उपचार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। महिला की उम्र, समग्र स्वास्थ्य और दूसरे कई कारक गर्भाशय कैंसर की उपचार में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 1. गर्भाशय कैंसर का आमतौर पर पता कैसे लगाया जाता है?
दूसरी बीमारियों की तरह गर्भाशय कैंसर के भी कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जिनकी मदद से इसका पता लगाया जा सकता है। महिला को गर्भाशय कैंसर है या नहीं इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर लक्षणों के आधार पर कुछ जांच करने का सुझाव देते हैं जैसे कि पेल्विक जांच, पैप टेस्ट, ट्रांसवैजिनल अल्ट्रासाउंड और बायोप्सी आदि।
प्रश्न 2. क्या गर्भाशय का कैंसर ठीक हो सकता है?
हाँ. गर्भाशय के कैंसर को ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए सर्जरी, रेडियोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी और कीमोथेरेपी आदि उपलब्ध हैं। आपके लिए उपचार का कौन सा तरीका बेहतर है, यह गर्भाशय कैंसर के प्रकार, चरण और आपकी उम्र एवं समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। अगर गर्भाशय कैंसर का निदान इसकी शुरुआती चरण में होता है तो उपचार के सफल होने की संभावना अधिक होती है।
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