Table of Contents
पीसीओडी फुल फॉर्म ‘पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज’ होता है जिसे आम बोलचाल की भाषा में पीसीओडी कहते हैं। यह महिलाओं को प्रभावित करने वाली एक कॉमन समस्या है जो मुख्य रूप से हार्मोन में असंतुलन के कारण होती है। पीसीओडी से पीड़ित महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन यानी एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है एवं अंडाशय पर सिस्ट बनने लगते हैं। पीसीओडी में प्रेगनेंसी हासिल करना एक महिला के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
पीसीओडी के अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन निम्नलिखित को इसके मुख्य कारणों में गिना जाता है:
पीसीओडी के लक्षण पर ध्यान देकर इसे गंभीर रूप लेने से रोका जा सकता है। पीसीओडी के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं तो जल्द से जल्द स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। उपचार शुरू होते ही आप खुद में पीसीओडी ठीक होने के लक्षण अनुभव करना शुरू कर सकती हैं।
इसे भी पढ़ें: जानिए प्रेगनेंसी में संबंध बनाना चाहिए या नहीं ?
विशेष रूप से पीसीओडी का मेडिकल जांच यानी निदान करने के लिए कोई ख़ास एक परीक्षण नहीं है। डॉक्टर आपके लक्षणों, दवाओं और किसी भी अन्य चिकित्सा स्थितियों की चर्चा के साथ शुरू कर सकते हैं। डॉक्टर आपके मासिक धर्म और वजन में किसी भी बदलाव के बारे में भी पूछ सकते हैं। साथ ही, शारीरिक परीक्षा में अतिरिक्त बालों के विकास, इंसुलिन प्रतिरोध और मुँहासे के संकेतों की जाँच की जा सकती है।
पीसीओडी टेस्ट के लिए डॉक्टर निम्न जांचों का सुझाव दे सकते हैं:
अगर आपको पीसीओडी टेस्ट के दौरान इस समस्या का निदान होता है तो डॉक्टर कुछ ख़ास उपचार, डाइट, और जीवनशैली में बदलाव आदि का सुझाव देते हैं।
समय पर पीसीओडी को नियंत्रित नहीं करने यह दूसरी अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है। पीसीओडी की जटिलताओं में शामिल हैं:
पीसीओडी का इलाज संभव है। हालाँकि, पीसीओडी एक हार्मोनल समस्या है, इसलिए इसका उपचार लंबा चलता है। पीसीओडी का उपचार कई तरह से किया जा सकता है। डॉक्टर पीसीओडी के कारकों के आधार पर उपचार प्रक्रिया का चयन करते हैं।
पीसीओडी प्रॉब्लम ट्रीटमेंट के लिए सबसे पहले डॉक्टर मरीज को जीवनशैली में सकारात्मक सुधार लाने और अपने खान-पान पर ध्यान देने का सुझाव देते हैं। मासिक धर्म चक्र को ठीक और ओवुलेशन में सुधार करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं निर्धारित करते हैं। साथ ही, कुछ खास व्यायाम की मदद से वजन कम करने का सुझाव देते हैं। आपके लिए बेस्ट पीसीओडी का उपचार क्या है इस बारे में डॉक्टर से बात करें।
कुछ बातों को ध्यान में रखकर पीसीओडी की रोकथाम की जा सकती है। इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
पीसीओडी को बीमारी नहीं कहा जाता है, क्योंकि इसे जीवनशैली और डाइट में सकारात्मक बदलाव लाकर ठीक किया जा सकता है जबकि पीसीओएस एक मेटाबोलिक विकार है। पीसीओएस की तुलना में पीसीओडी ज्यादा कॉमन है।
फिलहाल पीसीओडी का परमानेंट उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ उपायों की मदद से इसके लक्षणों को दूर कर महिला एक नॉर्मल जीवन जी सकती है।
पीसीओडी में प्रेगनेंट होना संभव है, लेकिन काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि पीसीओडी से पीड़ित महिला की ओवरी में अंडे ठीक तरह से नहीं बनते हैं और नाही अंडे की क्वालिटी एवं आकार उचित होती है।
पीसीओडी एक हार्मोनल समस्या है जो हार्मोन में असंतुलन होने के कारण होती है। अस्वस्थ जीवनशैली और गलत खान-पान के कारण हार्मोनल समस्याएं पैदा होती हैं जो पीसीओडी को जन्म दे सकती हैं।
विशेषज्ञ के मुताबिक, पीसीओडी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन ज्यादातर महिलाएं अपेक्षाकृत सामान्य और सक्रिय जीवन जी सकती हैं। इसके लिए एक सक्रिय जीवनशैली और स्वास्थ्य प्रबंधन की आवश्यकता है। प्रत्येक लक्षण, जैसे कि अनियमित मासिक धर्म, चेहरे के बाल, वजन बढ़ना, मुँहासे और बांझपन, को व्यक्तिगत रूप से संबोधित किया जाता है।
पीसीओडी से पीड़ित महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है जिसके कारण उसके पीरियड्स में अनियमितता आती है। नतीजतन, पीरियड्स पहले आ जाते हैं, या देर से आते हैं या कई बार नहीं भी आते हैं। ऐसे में विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श करना चाहिए।
अपने पीसीओडी डाइट प्लान में रोजाना फल को जरूर शामिल करें। आप अपने आहार में लाल अंगूर, चेरी, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी, स्ट्रॉबेरी और सेब जैसे फलों को शामिल कर सकते हैं। ये फल ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) में कम होते हैं, जो इंसुलिन संवेदनशीलता के लिए सहायक होते हैं।
पीसीओडी से छुटकारा पाने के लिए इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज: