विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कैंसर दुनियाभर में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है—हर छह में से एक व्यक्ति इसके प्रभाव में आता है। भारत में ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाले कुल कैंसर मामलों का लगभग 14% है और यह एक गंभीर चुनौती बना हुआ है। हर दो महिलाओं में से एक की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है। वर्ष 2020 में ब्रेस्ट कैंसर के 1,78,361 नए मामले सामने आए, जिनमें शहरी महिलाओं को इसका अधिक खतरा है (हर 22 में से 1 महिला), जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या हर 60 में से 1 है।
ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की पाँच साल की औसत सर्वाइवल दर 66% है (survival rate of breast cancer), जो यह दर्शाती है कि समय रहते पहचान और इलाज कितना ज़रूरी है। देर से जाँच होने वाले मामलों में 50-60% मरीजों को मास्टेक्टॉमी (स्तन को पूरी तरह हटाने) (mastectomy) की आवश्यकता होती है। शहरीकरण, बदलती जीवनशैली और जागरूकता की कमी इस बढ़ती समस्या के प्रमुख कारण हैं। इससे निपटने के लिए ज़रूरी है कि हम जागरूकता फैलाएं, शुरुआती जाँच और इलाज को सुलभ बनाएं और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करें।
इलाज के पारंपरिक विकल्पों में ओपन सर्जरी शामिल है, जिसमें बड़े कट लगते हैं और रिकवरी में लंबा समय लगता है। वहीं, रोबोटिक सर्जरी एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें छोटे चीरे लगते हैं और इसमें रोबोटिक आर्म्स का इस्तेमाल कर सर्जरी की जाती है।
इन तमाम चुनौतियों के बीच, रोबोटिक सर्जरी ब्रेस्ट कैंसर के प्रभावी और सटीक इलाज की एक नई उम्मीद बनकर उभरी है। यह तकनीक न सिर्फ कैंसर को हटाने (resection), बल्कि स्तन के पुनर्निर्माण (breast reconstruction) में भी कम जटिल और अधिक सटीक विकल्प प्रदान करती है। पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में यह मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया कई फायदे देती है—जैसे कि छोटे चीरे, कम रक्तस्राव, बेहतर कंट्रोल और सटीकता, और कम समय में रिकवरी। यह आधुनिक सर्जिकल तकनीक मरीजों को बेहतर अनुभव और तेज़ इलाज उपलब्ध कराती है।
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पारंपरिक रूप से ब्रेस्ट कैंसर का इलाज मॉडिफाइड रैडिकल या रैडिकल मास्टेक्टॉमी जैसी सर्जरी से किया जाता था। लेकिन अब ये प्रक्रियाएं केवल उन्हीं मामलों में की जाती हैं, जहां कैंसर एडवांस स्टेज में हो और सिस्टमिक थेरेपी का असर न हो। आजकल ऑन्कोप्लास्टिक ब्रेस्ट प्रिज़र्वेशन को इलाज का आम तरीका माना जाता है।
जिन मरीजों को शुरुआती स्टेज का कैंसर हो और जहां त्वचा या निप्पल प्रभावित न हो या जिनमें सिस्टमिक थेरेपी का अच्छा रिस्पॉन्स मिला हो—उन्हें स्किन-स्पेयरिंग और निप्पल-स्पेयरिंग मास्टेक्टॉमी (SSM/NSM) (Nipple Repairing Mastectomy) की सलाह दी जाती है। इन प्रक्रियाओं में रोबोटिक तकनीक का सहारा कई फायदे देता है—जैसे कि बेहतर पहुंच, खासकर उन एंगल्स तक जो ओपन सर्जरी में रिट्रैक्टर्स से नहीं पहुंच पाते हैं। रोबोटिक आर्म्स 3D व्यू और ज़्यादा रेज़ोल्यूशन के साथ एक विस्तृत दृश्य प्रदान करते हैं, जिससे सटीकता के साथ टिशू की कटिंग और डिसेक्शन (dissection) संभव होती है।
आमतौर पर चीरे त्वचा की प्राकृतिक सिलवटों में जैसे बगल (axillary) (axillary breast surgery) या निचली ब्रेस्ट क्रीज़ में लगाए जाते हैं, जिससे कॉस्मेटिक रिज़ल्ट पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कहीं बेहतर होते हैं। साथ ही, सावधानीपूर्वक प्लानिंग और कंट्रोल के कारण त्वचा की रक्त आपूर्ति (vascularity) भी बनी रहती है।
रोबोटिक तकनीक ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन (Breast Reconstruction) की प्रक्रिया को भी आसान बनाती है, खासकर उन मामलों में जहां लैटिसिमस डॉर्सी (LD) फ्लैप—जो पीठ की मांसपेशियों से लिया जाता है, की जरूरत होती है। पारंपरिक तरीकों में इस फ्लैप को निकालने के लिए पीठ पर लंबा चीरा लगाना पड़ता था और सर्जरी के दौरान मरीज की पोज़िशनिंग बदलने व दोबारा ड्रेपिंग की आवश्यकता होती थी। लेकिन रोबोटिक सर्जरी की मदद से इन सभी जटिलताओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह तकनीक बगल (axilla) के ज़रिए पीठ तक पहुंच बनाती है, जिससे पीठ पर लंबे चीरे की जरूरत नहीं पड़ती और वहां कोई दाग भी नहीं बनता। इस मिनिमल इनवेसिव तरीके (minimally invasive technique) से न केवल सर्जरी का समय लगभग आधा हो जाता है, बल्कि पूरी प्रक्रिया मरीज के लिए कम पीड़ादायक होती है और सौंदर्य की दृष्टि से भी बेहतर परिणाम देती है।
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भारत में, जहां ब्रेस्ट कैंसर एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है, वहीं रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी (Robotic Assisted Surgery) इलाज में एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में उभर रही है। भयावह आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि अब नवाचार की सख्त ज़रूरत है। ऐसे में रोबोटिक सर्जरी का उपयोग ऑन्कोप्लास्टिक प्रोसीजर्स (oncoplastic procedure) और ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है—जो न सिर्फ सर्जरी को मिनिमल इनवेसिव बनाता है, बल्कि मरीजों के नतीजों और अनुभवों को भी बेहतर करता है। जैसे-जैसे तकनीक और इसकी पहुंच आगे बढ़ रही है, एक ऐसा भविष्य अब संभव नज़र आ रहा है, जहां ब्रेस्ट कैंसर को पहले से कहीं ज़्यादा सटीक, प्रभावी और आसान तरीकों से नियंत्रित और इलाज किया जा सकेगा।
भारत में रोबोटिक सर्जरी ब्रेस्ट कैंसर के इलाज को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है। यह केवल उम्मीद ही नहीं, बल्कि इस कठिन बीमारी से जूझ रहे लोगों के जीवन में ठोस सुधार की ओर एक बड़ा कदम है। जैसे-जैसे देश कैंसर के बढ़ते बोझ से जूझ रहा है, रोबोटिक तकनीक का यह परिवर्तनकारी प्रभाव एक ऐसे भविष्य की झलक देता है जहां सटीकता, कुशलता और बेहतर परिणाम मिलकर ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की परिभाषा को पूरी तरह बदल सकते हैं।
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