महिलाओं के प्रजनन अंगों में होने वाले कैंसर को गायनेकोलॉजिकल कैंसर कहते हैं। शोध के मुताबिक, दुनियाभर में कैंसर के कारण लाखों महिलाओं की मौत होती है, लेकिन अधिकतर मामलों में उनकी मौत का मुख्य कारण गायनेकोलॉजिकल कैंसर होता है।
कैंसर एक जनलेवा बीमारी है जिससे पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जब शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित और विकसित होने लगती हैं तो कैंसर की समस्या पैदा होती है। इस ब्लॉग में हम गायनेकोलॉजिकल कैंसर के प्रकार और लक्षण के बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं।
गायनेकोलॉजिकल कैंसर के मुख्यतः 6 प्रकार होते हैं:
गायनेकोलॉजिकल कैंसर कई कारणों से होते हैं जिसमें मुख्य रूप से खान-पान, जीवनशैली और शारीरिक स्वास्थ्य से जुडी स्थितियां आदि शामिल हैं। निम्न कारकों से गायनेकोलॉजिकल कैंसर का खतरा बढ़ता है:
इन सबके अलावा, दूसरे भी अनेक कारण हैं जो एक महिला में गायनेकोलॉजिकल कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।
गर्भाशय कैंसर होने पर एक महिला खुद में अनेक लक्षणों को अनुभव कर सकती है। हालाँकि, इसके मुख्य लक्षणों में मेनोपॉज के बाद योनि से रक्तस्राव होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द, पीरियड्स के बाद अत्यधिक रक्तस्राव और शारीरिक संबंध बनाते समय उसे दर्द महसूस होना आदि शामिल हैं।
इसे ओवेरियन कैंसर के नाम से भी जानते हैं। गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं भूख नहीं लगना, भोजन करने में परेशानी होना, अचानक वजन घटना, बार-बार पेशाब लगना, श्रोणि क्षेत्र में दर्द और बेचैनी होना एवं प्रभावित क्षेत्र में अत्यधिक सूजन होना आदि।
यह अधिकतर मामलों में अधिक उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है। वल्वर कैंसर होने पर महिला खुद में कुछ लक्षणों में पेशाब करते समय दर्द और जलन होना, पीरियड के अलावा गंभीर रक्तस्राव होना, घाव या अल्सर होना और लाल, गुलाबी या सफ़ेद रंग के मस्से जैसी सतह आदि शामिल हैं।
इस कैंसर से पीड़ित महिला को खुद में कुछ लक्षण अनुभव हो सकते हैं जैसे कि योनि से असामान्य रक्तस्राव, योनि से सफेद बदबूदार पानी का स्राव होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, भूख कम लगना, वजन कम होना, कमजोरी होना, थकान महसूस करना, अनीमिया और बॉन फ्रैक्चर की शिकायत होना और पेशाब करने में दिक्कत होना आदि।
यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो ज्यादातर 50 से अधिक उम्र की महिलाओं में होता है। इस कैंसर के लक्षणों में शारीरिक संबंध बनाते समय और बाद में दर्द महसूस होना, असामान्य स्क्त्स्राव होना, मेनोपॉज के बाद रक्तस्राव होना, मल या मूत्र के साथ खून आना, बार-बार पेशाब लगना और कब्ज की शिकायत होना आदि।
गर्भकालीन ट्रोफोब्लास्टिक ट्यूमर गर्भावस्था से जुड़ा एक तरह का ट्यूमर है। यह एक दुर्लभ प्रकार का गायनेकोलॉजिकल कैंसर है। इससे पीड़ित महिला को अनेक लक्षण अनुभव हो सकते हैं जैसे कि:
इन सबके अलावा, महिला को अनीमिया की शिकायत हो सकती है जिसके कारण उसे साँस लेने में दिक्कत होना, दिल की धड़कन तेज होना, चक्कर आना और थकान महसूस करना आदि की शिकायत भी हो सकती है।
गायनेकोलॉजिकल कैंसर का इलाज कई तरह से किया जाता है। इसका उपचार करने के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, टार्गेटेड थेरेपी और दवाएं आदि शामिल हैं। अधिकतर मामलों में गायनेकोलॉजिकल कैंसर का उपचार सर्जरी से किया जाता है।
हालाँकि, गायनेकोलॉजिकल कैंसर के प्रकार और गंभीरता, महिला की उम्र और समग्र स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कैंसर विशेषज्ञ उपचार के प्रकार का चयन करते हैं। कई बार विशेषज्ञ ऊपर दिए उपचारों में से एक या उससे अधिक का सहारा ले सकते हैं।
अगर आप खुद में गायनेकोलॉजिकल कैंसर के लक्षणों को अनुभव करती हैं या इस बीमारी से पीड़ित हैं तो हमारे कैंसर विशेषज्ञ के साथ अपॉइंटमेंट बुक करके उनसे विस्तृत परामर्श कर सकती हैं। अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए आप इस पेज के ऊपर दिए गए Book Appointment Form का इस्तेमाल कर सकती हैं।
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