
गले में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं, इंफेक्शन यानी संक्रमण भी उन्हीं में से एक है। गले में इंफेक्शन होने पर आपको कई तरफ की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसमें मुख्य रूप से गले में दर्द, जलन और खराश होना, ठंड लगना और बुखार आना आदि शामिल है।
इस ब्लॉग में हम गले में इन्फेक्शन (संक्रमण) क्या है, इसके कारण, लक्षण , बचाव और घरेलू नुस्खों के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
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गले में इंफेक्शन (संक्रमण) को थ्रोट इंफेक्शन के नाम से भी जाना जाता है। यह बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है। गले में इन्फेक्शन होना एक गंभीर समस्या है जो सबसे अधिक छोटे बच्चों और उन लोगों में देखी जाती है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। बार बार गले में इन्फेक्शन होना गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, इसलिए इस स्थिति में जल्द से जल्द गले के संक्रमण के डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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गले में इंफेक्शन होने पर आप खुद में अनेक लक्षण अनुभव कर सकते हैं। गले में इन्फेक्शन के लक्षण में मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:-
गले में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय के तौर पर डॉक्टर आपको अनेक उपचार का सुझाव दे सकते हैं। अगर आप खुद में ऊपर दिए गए श्वास नली में इन्फेक्शन के लक्षण को अनुभव करते हैं तो डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
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गले में इन्फेक्शन होने के कारण आपको अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गले में इंफेक्शन कई कारणों से होता है। कई बार यह अपने आप ही दूर हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इसका उचित उपचार किया जाता है। गले में इन्फेक्शन के कारण को ध्यान में रखकर इस समस्या के खतरे को कम या दूर किया जा सकता है। गले में इंफेक्शन क्यों होता है:
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इन सबके अलावा, गले में चोट लगने पर वोकल कॉर्ड्स और मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिसके कारण आपको गले में खराश की शिकायत हो सकती है। लंबे समय तक गले में खराश होने के कारण गले में इंफेक्शन विकसित हो सकता है। साथ ही, गले में इंफेक्शन के और भी दूसरे कारण हो सकते हैं जैसे कि रायनोवायरस, फ्लू फैलाने वाले वायरस, काली खांसी और डिपथेरिया आदि।
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अगर आप नीचे दिए गए लक्षणों का अनुभव करते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए:-
कुछ ऐसे उपाय हैं जिनकी मदद से आप अपने गले को इंफेक्शन से बचा सकते हैं। आमतौर पर डॉक्टर हल्के गुनगुने पानी में नमक मिलाकर पीने और गरारे करने, पानी में नींबू और शहद मिलाकर सेवन करने, लौंग, अदरक, इलायची, तुलसी और काली मिर्च की चाय पीने, तथा भोजन करने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोने जैसी सलाह देते हैं।
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गले में इंफेक्शन का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ जांच करने की सलाह देते हैं। इन जांचों की मदद से गले में संक्रमण के सही कारण की पहचान की जा सकती है, जो उचित इलाज के लिए जरूरी होता है। आमतौर पर, डॉक्टर थ्रोट स्वैब और ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। जांच के परिणामों के आधार पर ही डॉक्टर उपचार का सही तरीका निर्धारित करते हैं।
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गले में इंफेक्शन का घरेलू उपचार संभव है। अगर आप घर बैठे गले में इंफेक्शन से परेशान हैं तो नीचे हम गले में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय आदि के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
अगर आप गले में इन्फेक्शन के लक्षण अनुभव करते हैं तो ऊपर दिए उपाय का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे की डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही इन सबका सेवन करना चाहिए।
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गले में इंफेक्शन कई कारणों से होता है और बिना इसके कारण की पुष्टि किए इलाज करना उचित नहीं है। गले में इंफेक्शन होने पर आप ऊपर दिए गए नुस्खों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उससे पहले आपको डॉक्टर की राय अवश्य लेनी चाहिए।
डॉक्टर गले में इंफेक्शन के कारण, आपके समग्र स्वास्थ्य, एलर्जी और दूसरी बातों को ध्यान में रखते हुए घरेलू नुस्खों के इस्तेमाल का सुझाव देते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आप गले में इंफेक्शन का उपचार करने की नियत से किसी भी घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल डॉक्टर से परामर्श करने के बाद करें।
जब आपके गले में इंफेक्शन हो तो ऐसे नरम खाद्य पदार्थ खाएं जो निगलने में आसान हों, जैसे कि दही, दलिया, पास्ता और अंडे। आपको कठोर, दृढ़ खाद्य पदार्थों और अम्लीय खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए जो इंफेक्शन होने पर गले में जलन पैदा कर सकते हैं।
आमतौर पर गले में इंफेक्शन के लक्षण घरेलू नुस्खों की मदद से एक सप्ताह से 10 दिनों के भीतर चले जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो डॉक्टर कुछ अन्य उपायों का सुझाव देते हैं।
गले में खराश हमेशा बीमार होने के कारण नहीं होती है। ठंडी हवा गले में ऊतक को सुखा सकती है और गंभीर जलन पैदा कर सकती है। नाक के बजाय मुंह से सांस लेने पर लक्षण बदतर हो सकते हैं। इस वजह से एक्सरसाइज करने के बाद ठंड के मौसम में लोगों के गले में खराश होना आम बात है।
फैरिंजाइटिस और टॉन्सिलाइटिस गले के संक्रमण हैं जो सूजन का कारण बनते हैं। यदि टॉन्सिल मुख्य रूप से प्रभावित होते हैं, तो इसे टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है। यदि गला मुख्य रूप से प्रभावित होता है, तो इसे फैरिंजाइटिस कहा जाता है। यदि आपको दोनों हैं, तो इसे ग्रसनी टॉन्सिलिटिस (pharyngotonsillitis) कहा जाता है।
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