अस्वस्थ जीवनशैली और गलत खान-पान के कारण इंसान अनेक बीमारियों से पीड़ित होता है, किडनी स्टोन भी उन्हीं में से एक है। इससे पीड़ित होने पर आपको तेज दर्द और दूसरी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
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किडनी स्टोन को गुर्दे की पथरी (renal calculi, nephrolithiasis, urolithiasis) भी कहते हैं। यह मिनरल्स और नमक से बनी एक ठोस जमावट होती है जिसका आकार एक रेट के दाने इतना छोटा और गोल्फ के गेंद जितना बड़ा हो सकता है। किडनी का काम अपशिष्ट पदार्थों और तरल पदार्थों की अधिक मात्रा को शरीर से बाहर निकालना है।
खून का शुद्धिकरण करना और पेशाब बनाना भी किडनी का ही काम है, लेकिन डाइट में अधिक मात्रा में कैल्शियम, पोटैशियम और खनिज होने के कारण अपशिष्ट पदार्थ किडनी से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाते हैं। बाद में यही अपशिष्ट पदार्थ धीरे-धीरे एकत्रित होकर पत्थर यानी स्टोन का रूप ले लेते हैं जिसे मेडिकल भाषा में किडनी स्टोन कहते हैं।
किडनी स्टोन कई प्रकार के होते हैं जिसमें निम्न शामिल हो सकते हैं:-
यह गुर्दे और यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण से पीड़ित महिलाओं में अधिकतर होता है। इस स्टोन का आकार बड़ा हो सकता है।
यह सबसे सामान्य प्रकार का किडनी स्टोन है। यह कैल्शियम ऑक्सलेट के कारण होता है।
यह बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। सिस्टीन शरीर में मौजूद एक प्रकार का एसिड है जो इस पथरी का कारण है।
गठिया से पीड़ित मरीजों में इस प्रकार का स्टोन देखा जाता है। मूत्र में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक होने पर यूरिक एसिड स्टोन का निर्माण होता है।
किडनी स्टोन के अनेक कारण होते हैं। इसके कारणों को ध्यान में रखते हुए कुछ सावधानियां बरतकर इसकी संभावना को कम किया जा सकता है। हम आपको नीचे गुर्दे की पथरी के मुख्य कारणों के बारे में बता रहे हैं।
किडनी स्टोन क्यों होता है:-
किडनी स्टोन के मुख्य कारणों में शरीर में पानी की कमी होना शामिल है। जब किडनी मिनरल्स को फिलटर करती है तो उसे पर्याप्त मात्रा में पानी की जरूरत होती है।
कैल्शियम युक्त दवाओं का सेवन करने से किडनी स्टोन हो सकता है। एचआईवी के उपचार में जिन दवाओं का उपयोग किया जाता है उससे इस समस्या का खतरा होता है।
सिस्टिक फाइब्रॉइड्स, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज और ट्यूबलर एसिडोसिस जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को किडनी स्टोन का खतरा होता है।
जिन महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होती है उन्हें गुर्दे की पथरी हो सकती है।
साथ ही, जिन महिलाओं की ओवरी निकल चुकी है उन्हें भी इस समस्या का खतरा हो सकता है। इन सबके अलावा, दूसरे भी ऐसे अनेक कारण हैं जिससे किडनी स्टोन का खतरा बढ़ता है। इसमें आनुवंशिकी और अंतर्निहित बीमारियां आदि शामिल हैं।
ऐसा जरूरी नहीं कि हमेशा किडनी स्टोन के लक्षण अनुभव हों। जिस स्टोन का आकार छोटा होता है उसमें दर्द नहीं होता है। लेकिन कुछ मामलों में और खासकर जब स्टोन का आकार बड़ा होता है तो तेज दर्द होता है।
इसके आलावा, किडनी स्टोन के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे कि:-
अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करते हैं या आपको किडनी स्टोन है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
किडनी स्टोन का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ जांच करने का सुझाव देते हैं जिसमें निम्न शामिल हैं:-
खून जांच के दौरान डॉक्टर अधिक कैल्शियम या यूरिक एसिड की जांच करते हैं। खून जांच किडनी के स्वास्थ्य और अन्य चिकित्स्कीय स्थितियों की जांच के लिए आवश्यक होता है।
इस परीक्षण के दौरान दौरान डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि आपके मूत्र में पथरी बनाने वाले खनिज अधिक हैं या पथरी के गठन को रोकने वाले पदार्थ कम हैं।
इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपके किडनी स्टोन को देख सकते हैं। इस टेस्ट में एक्स-रे, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और नॉन-इनवेसिव टेस्ट शामिल हैं।
अगर आपको पथरी है तो डॉक्टर पारित पथरी का विश्लेषण करते हैं। पथरी को प्राप्त करने के लिए डॉक्टर आपको एक झरनी के माध्यम से पेशाब करने को कह सकते हैं।
किडनी स्टोन का इलाज कई तरह से किया जाता है। किडनी स्टोन का उपचार इसके कारण, प्रकार और आकार पर निर्भर करता है। किडनी स्टोन का उपचार करने के लिए डॉक्टर कुछ खास दवाओं और सर्जरी का उपयोग कर सकते हैं।