पीलिया एक बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के उत्तकों और खून में होता है। आमतौर पर जब किसी कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है।
बिलीरुबिन लिवर से फिलटर होकर शरीर से बाहर निकलता है, लेकिन जब किसी कारणों से यह खून से लिवर में नहीं जाता है या लिवर द्वारा फिलटर नहीं होता है तो शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है जिससे पीलिया (Piliya in hindi) होता है।
यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें टोटल सीरम बिलीरुबिन का स्तर तीन मिलीग्राम प्रति डेसिमिटार से अधिक हो जाता है। पीलिया के मुख्य लक्षणों में आंख के सफेद हिस्सा का पीला होना है।
अधिकतर मामलों में पीलिया नवजात शिशुओं को होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह वयस्कों को भी हो सकता है। इसके लक्षणों के आधार पर डॉक्टर पीलिया के प्रकार की पुष्टि कर इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
समय पर पीलिया का इलाज नहीं कराने पर सेप्सिस हो सकता है और कुछ मामलों में लिवर फेल हो सकता है। इसलिए समय पर इसका उचित इलाज आवश्यक है।
इस ब्लॉग में हम (jaundice kya hota hai) पीलिया क्या होता है, इसके क्या कारण और लक्षण हैं तथा इसका इलाज कैसे होता है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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पीलिया के मुख्य तीन प्रकार होते हैं जिसमें प्री-हिपेटिक पीलिया, पोस्ट-हिपेटिक पीलिया और हेपैटोसेलुलर पीलिया शामिल हैं। प्री-हिपेटिक पीलिया को हेमोलिटिक पीलिया के नाम से भी जाना जाता है।
लक्षणों के आधार पर डॉक्टर पहले मरीज की जांच करके पीलिया के प्रकार की पुष्टि करते हैं। उसके बाद, इलाज की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
पीलिया के वायरस मरीज के मल में मौजूद होते हैं जिसके कारण इस बीमारी का प्रसार हो सकता है। साथ ही, दूषित पानी, दूध और खानपान की दूसरी चीजों के जरिए भी पीलिया रोग फैल सकता है।
अगर आप खुद को इस बीमारी से दूर रखना चाहते हैं तो आपको अपने आसपास साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, खानपान की चीजों का सेवन करने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोना चाहिए ताकि पीलिया या दूसरी बीमारी एवं संक्रमण का खतरा न हो।
पीलिया का सबसे बड़ा लक्षण (jaundice symptoms in hindi) त्वचा और आंखों का पीला होना है। इसके अलावा, पीलिया होने पर आप खुद में निम्न लक्षणों को अनुभव कर सकते हैं:-
अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करते हैं या आपको इस बात की शंका है कि आपको पीलिया है तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करें।
डॉक्टर लक्षणों के आधार पर कुछ जांच करके सटीक कारण की पुष्टि कर समय पर उचित इलाज प्रदान कर सकते हैं।
बिलीरुबिन का काम लिवर से गंदगी को साफ करना है, लेकिन जब किसी कारणों से इसकी मात्रा 2.5 से अधिक हो जाती है तो यह काम करना बंद कर देता है। नतीजतन, पीलिया की समस्या पैदा होती है।
लाल रक्त कोशिकाओं के जल्दी टूटने के कारण बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से प्री-हिपेटिक पीलिया होता है। इसके दूसरे भी कारण हो सकते हैं जिसमें मुख्य रूप से शामिल हैं:-
जब लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है या लिवर में किसी तरह का संक्रमण फैल जाता है तो हेपैटोसेलुलर पीलिया होता है। यह मुख्य तौर पर शराब का सेवन करने, अधिक तैलीय और मसालेदार चीजों का सेवन करने और शरीर में कब्ज के कारण होता है।
पित्त की नलिका में रुकावट पैदा होने पर पोस्ट-हिपेटिक पीलिया होता है। लिवर में घाव, पित्त की पथरी, हेपेटाइटिस या किसी दवा के साइड इफेक्ट्स के कारण पित्त नलिका में रुकावट पैदा हो सकती है।
37 सप्ताह या 8.5 महीने से पहले जन्मे शिशु को पीलिया का खतरा अधिक होता है, क्योंकि अभी तक उनका लिवर पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है। साथ ही, जिन शिशुओं को मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है उन्हें भी इस बीमारी का खतरा होता है।
इन सबके अलावा, जिन शिशुओं में निम्न समस्याएं होती हैं उनमें भी पीलिया होने का खतरा अधिक होता है:-
पीलिया की जटिलताएं इसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करती हैं। पीलिया की संभावित जटिलताओं में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
पीलिया का जांच कई तरह से किया जाता है। पीलिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर निम्न जांच करने का सुझाव देते हैं:-
डॉक्टर कौन सा जांच करते हैं यह मरीज के लक्षण, पीलिया के प्रकार और उम्र आदि पर निर्भर करता है।
पीलिया का इलाज (jaundice ka ilaj) इसके कारण पर निर्भर करता है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर अनेको उपचार विकल्पों का चयन कर सकते हैं जिसमें दवाओं का सेवन, सर्जरी, जीवनशैली और डाइट में बदलाव आदि शामिल हैं।
पीलिया होने पर आपको अपने खान-पान का ख़ास ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं पीलिया में आपका खान-पान कैसा होना चाहिए।
इन सबके अलावा, आप अपनी डाइट में निम्नलिखित चीजों को शामिल का सकते हैं:-
पीलिया से पीड़ित होने की स्थिति में आपको कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-
कुछ खास सावधानियां बरतकर पीलिया से बचा जा सकता है। डॉक्टर के अनुसार, पीलिया का बचाव करने के लिए लिवर का स्वस्थ होना अतिआवश्यक है, क्योंकि यही पाचक रस का उत्पादन करता है जो भोजन को हजम करने में मदद करता है।
साथ ही, लिवर खून में थक्का बनने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। निम्न बातों का पालन कर लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है जो पीलिया की रोकथाम में मदद करेगा।
संतुलित साइट लिवर को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों को शामिल करें।
रोजाना सुबह या शाम में हल्का-फुल्का व्यायाम आपके लिवर को स्वस्थ बनाने में अहम भूमिका निभाता है। अगर आप निष्क्रिय जीवन जीते हैं तो आपको हल्का-फुल्का व्यायाम शुरू कर देना चाहिए।
दैनिक जीवन में साफ़-सफाई का खास ध्यान रखें। साफ पानी पीएं और साफ फलों एवं सब्जियों का सेवन करें।
शराब का सेवन सबसे अधिक लिवर पर बुरा प्रभाव डालता है। अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो आपको पीलिया होने का खतरा है। पीलिया से बचने के लिए आपको शराब का सेवन सीमित या बंद करना चाहिए।
अगर आप ऊपर दिए गए बिंदुओं का पालन करते हैं तो पीलिया का बचाव करना संभव है।
अगर आप खुद में पीलिया के निम्न लक्षणों को अनुभव करते हैं तो आपको जल्द से जल्द एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
पीलिया के सबसे मुख्य लक्षणों में आंखों के सफेद हिस्से का पीला पड़ना है। अगर आपकी आंखें पीली हो गयी हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर आपके लक्षणों और जांच की मदद से पीलिया की पुष्टि करते हैं।
पीलिया के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं जिसमें बिलीरुबिन टेस्ट, कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट, हेपेटाइटिस ए, बी और सी की जांच, एमआरआई स्कैन, अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलैंजियोंपैंक्रिटोग्राफी और लिवर बायोप्सी आदि शामिल हैं।