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डायरिया को हिंदी और आम बोलचाल की भाषा में दस्त (Loose Motion in Hindi) भी कहते हैं। यह पाचन तंत्र से संबंधित एक विकार यानी डिसऑर्डर है जिसमें मरीज को पतला मल होता है। मुख्य रूप से यह समस्या रोटावायरस के कारण होती है, लेकिन कुछ मामलों में साल्मोनेला या ई. कोलाई जैसे जीवाणु भी इसका कारण बन सकते हैं।
साथ ही, कुछ खास प्रकार की दवाओं के सेवन, हार्मोनल विकार या आंतों में सूजन के कारण भी डायरिया की शिकायत हो सकती है। खान-पान और साफ-सफाई पर ध्यान देकर वायरस या बैक्टीरिया से होने वाले डायरिया को आसानी से रोका जा सकता है।
डायरिया को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है जिसमें एक्यूट डायरिया, परसिस्टेंट डायरिया और क्रोनिक डायरिया शामिल हैं।
डायरिया की गंभीरता, उसके प्रकार और कारण की पुष्टि करने के लिए लक्षण और नैदानिक परीक्षण की सहायता लेते हैं।
डायरिया का सबसे बड़ा कारण एक वायरस है जो आंतों पर बुरा प्रभाव डालता है। इसे वायरल गैस्ट्रो एंड्राइड व आंतों का फ्लू भी कहते हैं। हालांकि, डायरिया के दूसरे भी कारण हो सकते हैं जैसे कि:
ऊपर दिए गए कारकों पर ध्यान देकर डायरिया के खतरे को कम किया जा सकता है।
डायरिया के कई लक्षण होते हैं जिनकी मदद से आप इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि आपको डायरिया की समस्या है। डायरिया के लक्षणों में निम्न शामिल हैं:
अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करते हैं तो आपको बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
डायरिया होने पर बार-बार पतला मल होता है जिसके कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी के कारण शरीर में कमजोरी और दूसरी समस्याएं पैदा होती है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर अधिक से अधिक तरल पदार्थों के सेवन का सुझाव देते हैं।
शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोलाइट या स्पोर्ट्स ड्रिंक आदि का भी सुझाव दे सकते हैं। स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर इंट्रावीनस के माध्यम से शरीर में तरल पदार्थ पहुंचाते हैं ताकि शरीर की कमजोरी को दूर किया जा सके। अगर डायरिया का कारण बैक्टीरिया है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दवाएं निर्धारित करते हैं।
डायरिया की रोकथाम करने के लिए आप कुछ बातों को ध्यान में रख सकते हैं जैसे कि:
इन सबके अलावा, डायरिया के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श कर उचित इलाज कराएं।
आमतौर पर डायरिया 3-5 दिनों के अंदर ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह लंबे समय तक भी रुक सकता है।
मुख्य रूप से डायरिया को तीन भागों में बांटा गया है जिसमें एक्यूट डायरिया, परसिस्टेंट डायरिया और क्रोनिक डायरिया शामिल हैं।
डायरिया होने पर अधिक फाइबर, मसालेदार, तैलीय और मीठी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।