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सेरेब्रल पाल्सी: कारण, लक्षण और इलाज

Cerebral palsy in hindi
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वर्ष 2017 में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ (CEO) सत्या नडेला की किताब हिट रिफ्रेश प्रकाशित हुई थी जिसमे उन्होंने अपने सेरेब्रल पाल्सी से जूझ रहे बेटे से जुडी कई बातों का उल्लेख किया था।

हमारे आस पास भी बहुत से ऐसे बच्चे देखने मिल जाते हैं जो शारीरिक या मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होते या सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy in Hindi) नामक बीमारी से जूझ रहे होते हैं।

सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है जो बच्चों की शारीरिक गति, चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करता है। दरअसल, सेरेब्रल शब्द का अर्थ मस्तिष्क के दोनों भागों से होता है और पाल्सी शब्द का अर्थ शारीरिक गति की कमजोरी या समस्या से है। यह एक तरह की विकलांगता है जिसमे बच्चो को वस्तु पकड़ने और चलने में समस्या होती है।

यह रोग मस्तिष्क के किसी हिस्से में चोट लगने के कारण होता है। बच्चों में होने वाले इस रोग के विषय में और जानकारी देने के लिए हमारे बाल एवं अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. रीताद्युति मुखोपाध्याय ने इस बीमारी के विषय में कुछ खास जानकारी साझा की है, आइये जानते हैं क्या होती है यह बीमारी (Cerebral Palsy in Hindi) और किस प्रकार यह बच्चों के जीवन को प्रभावित कर सकती है।

क्या होता है सेरेब्रल पाल्सी? – What is Cerebral palsy in Hindi

Cerebral Palsy in Hindi: सेरेब्रल पाल्सी बच्चो में उनके मस्तिष्क और मांसपेशियों से जुड़ी समस्या होती है जो लगभग तीन साल से अधिक उम्र के 1,000 में से लगभग 2 से 3 बच्चों को होती है।

एक सर्वे के अनुसार देश में करीब 500,000 बच्चे एवं वयस्क इस बीमारी से जूझ रहे हैं। यह बीमारी मस्तिष्क के कुछ भाग में चोट लगने के कारण होती है जो बच्चों में होने वाली मोटर डिजीज में से सबसे आम बीमारी है। 

यह बीमारी संक्रामक नहीं होती है और न ही प्रोग्रेसिव होती है, जिसका मतलब होता है – समय के साथ इस बीमारी के लक्षण न हीं बढ़ते हैं और न ही बिगड़ते हैं। हालाँकि ये लक्षण सभी बच्चों में अलग अलग हो सकते हैं और लक्षणों और स्थिति की गंभीरता के आधार पर ही यह निर्धारित किया जा सकता है कि किस बच्चे को किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता होगी।

उदाहरण के लिए, यदि किसी बच्चे की स्थिति गंभीर है तो उसे विशेष सहायता और उपकरणों की आवश्यकता हो सकती है वहीं कम लक्षण वाले बच्चे को अपेक्षाकृत कम सहायता की आवश्यकता होगी।

सेरेब्रल पाल्सी के कारण

डॉ गौरव जंडियाल के अनुसार – अक्सर बहुत से माता पिता इस बीमारी के कारणों और कारकों को जानने के लिए, या यह बीमारी कभी सही हो सकती है या नहीं ऐसे ही बहुत से प्रश्नों के साथ आते हैं।

पहले, कुछ डॉक्टर्स ऐसा मानते थे कि सेरेब्रल पाल्सी होने का मुख्य कारण गर्भाशय में बच्चे को ऑक्सीजन की सही मात्रा न मिल पाना था किन्तु नई रिसर्च के अनुसार बहुत कम ऐसे मामले होते हैं जिनमे बच्चे को आक्सीजन न मिल पाने के कारण उन्हें सेरेब्रल पाल्सी की समस्या होती है।

सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित सभी बच्चे जन्म से ही इस बीमारी के साथ पैदा नहीं होते, कुछ मामलों में बच्चे जन्म के कुछ समय बाद उनके मस्तिष्क के विकास की अवधि के दौरान इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। सेरेब्रल पाल्सी होने के कुछ कारण इस प्रकार हैं: 

  • मस्तिष्क में सही से रक्त प्रवाह न होने के कारण 
  • सिर पर चोट लगने के कारण 
  • दिमाग की चोट के कारण 
  • कुछ इन्फेक्शन्स जैसे मैनिन्जाइटिस या एनसेफेलाइटिस (दिमागी बुखार)

सेरेब्रल पाल्सी के प्रकार

लक्षणों और मस्तिष्क के प्रभावित भाग के आधार पर सेरेब्रल पाल्सी को निम्न चार प्रकारों में विभाजित किया गया है:

  1. स्पासटीसिटी सेरेब्रल पाल्सी
  2. डिस्किनेटिक सेरेब्रल पाल्सी
  3. अटैक्सिक सेरेब्रल पाल्सी
  4. मिक्सड सेरेब्रल पाल्सी

स्पासटीसिटी सेरेब्रल पाल्सी

यह प्रकार सबसे सामान्य प्रकार होता है जिस कारण अधिकांश मामलों में पाया जाता है। स्पासटीसिटी सेरेब्रल पाल्सी वाले लोगों की मांसपेशियाँ काफी टोंड और अधिक होती हैं जिस कारण उनकी माँसपेशियाँ काफी अकड़ी हुई रहती हैं जिससे उन्हें चलने फिरने में कठिनाई का समना करना पड़ता है। स्पासटीसिटी सेरेब्रल पाल्सी को भी प्रभावित अंगों के आधार पर पुनः 3 भागों में बांटा गया है:

  1. स्पास्टिक डिप्लेजिआ- यह शरीर के निचले हिस्से को प्रभावित करता है; जो व्यक्ति के चलने फिरने के तरीके को प्रभावित करता है। कई मामलों में, कूल्हे की मांसपेशियां इतनी अधिक टाइट जाती हैं की जांघों की मांसपेशियां अंदर की और चली जाती हैं और घुटनों पर एकाग्र करने के लिए एक साथ खींचते हैं,  जिससे कैंची जैसी आकृति बन जाती है जिसके कारण इसे सिजरिंग भी कहा जाता है।
  2. स्पास्टिक हेमरेजिया- यह शरीर के केवल एक तरफ के हिस्से को प्रभावित करता है; ऐसे मामलों में, हाथ पैरों की अपेक्षा अधिक प्रभावित होते हैं जिस कारण वस्तुओं को उठाना मुश्किल हो जाता है।
  3. स्पास्टिक क्वाड्रिप्लेजिआ- यह शरीर के ऊपरी और निचले दोनों अंगों को प्रभावित करता है, इस कारण यह स्पासटीसिटी सेरेब्रल पाल्सी का सबसे गंभीर रूप माना जाता है। जो भी इस बीमारी से पीड़ित होता है उसे केवल माँसपेशियों से जुडी समस्या ही नहीं होती बल्कि बौद्धिक अस्वस्थता, दौरे पड़ना, सुनने में परेशानी होना, बोलने और दिखाई देने में समस्या जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।

डिस्किनेटिक सेरेब्रल पाल्सी

यह सेरेब्रल पाल्सी का दूसरा सबसे आम प्रकार है और इसमें कई लक्षण शामिल हैं जैसे कि डायस्टोनिया (बार बार बोलना या बोलने में परेशानी होना), एस्थेटोसिस (राइटिंग मूवमेंट्स), और कोरिया (सही से चला न पाना)।

ऐसे लोगों के लिए चलने की गति या तो धीमी हो सकती है या बहुत झटकेदार और बहुत तेज भी हो सकती है। यहाँ तक की कुछ मामलो में रोगी का चेहरा और जीभ भी प्रभावित हो सकती है जिस कारण बात करने, खाने में समस्या हो सकती है।

अटैक्सिक सेरेब्रल पाल्सी

यह प्रकार सबसे कम सामान्य है, जो पीड़ित को सामंजस्य में बाधा उत्पन्न करता है। इस प्रकार के सीपी से पीड़ित व्यक्ति को कचलने, बोलने, खाने, या अचानक गति करने में बहुत ही कठिनाई हो सकती है।

मिश्रित सेरेब्रल पाल्सी

यह प्रकार उस समस्या को संदर्भित करता है जहां व्यक्ति के लक्षणों में दो या दो से अधिक लक्षणों का मिश्रण होता है।

सेरिब्रल पाल्सी का निदान 

बहुत से माता पिता अपने बच्चों की मांसपेशियों की गतिविधियों के बारे में चिंतित रहते हैं की कहीं उनके बच्चे को किसी प्रकार की विकृति तो नहीं है, इसका निदान करने का सबसे उत्तम तरीका है अपने बच्चे की मांसपेशियों का ध्यान रखना की किसी प्रकार का विकार या चलने फिरने में कोई परेशानी तो नहीं है। इसके अलावा कुछ चीजें जिनका विशेष ध्यान रखना चाहिए वो इस प्रकार हैं:

  • मोटर स्किल्स- बच्चा किस तरह चीजों को पकड़ता है या किस प्रकार चलना सीखता है 
  • शरीर के एक तरफ झुकना
  • सहारे के साथ भी खड़े होने में कठिनाई होना 
  • पैरों में अकड़न 
  • बच्चे को उठाने पर उसकी कमर का पीछे की ओर झुक जाना 

टेस्ट

सेरेब्रल पाल्सी या CP के लिए कोई विशेष परीक्षण नहीं है, लेकिन कुछ टेस्ट्स ऐसे हैं जिनके द्वारा यह बताया जा सकता है कि आपके बच्चे को CP है या नहीं। टेस्टिंग के कुछ सामान्य तरीकों में निम्न शामिल हैं:

ब्रेन स्कैन- एमआरआई, क्रेनियल अल्ट्रासाउंड।

इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी)- यह आमतौर पर उन बच्चों में किया जाता है जिनको दौरे पड़ते हैं, यह टेस्ट इलेक्ट्रोडों की एक श्रृंखला का उपयोग करके आपके बच्चे के मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है।

लेब टेस्ट- रक्त और मूत्र परीक्षण आनुवंशिक और चयापचय संबंधी समस्याएं को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं।

विविध परीक्षण- यह बताने के लिए कि सेरेब्रल पाल्सी से शरीर का कौन सा अंग प्रभावित हुआ है, आपको उन विशेषज्ञों के पास भेजा जा सकता है जो आपको निम्नलिखित का निदान करने में मदद कर सकते हैं:

  • दृष्टि
  • श्रवण
  • बोलने के लिए 
  • विकास

इसके अलावा, कोई भी परीक्षण बच्चे के गर्भ में होने के दौरान सेरेब्रल पाल्सी या मस्तिष्क पक्षाघात का पता नहीं लगा सकता।

सेरेब्रल पाल्सी का इलाज

यद्धपि सेरेब्रल पाल्सी का इलाज पूरी तरह से बच्चे को ठीक नहीं कर सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से कई तरीकों से बच्चे के विकास में मदद कर सकता है। दवाइयां, सर्जरी और थेरेपी इस बीमारी के इलाज का सबसे सामान्य रूप है। मांसपेशियों की रिहाई से संबंधित सर्जरी, टेंडन रिलीज, हिप डिस्लोकेशन, या स्कोलियोसिस इत्यादि कई मामलों में बच्चों के लिए सहायक हो सकती हैं। थेरेपी जैसे एक्वा, म्यूजिक, बिहेवियरल, फिजिकल और बॉवेल इत्यादि भी बच्चों में कमजोरी को कम करने में काफी सहायक होती हैं।

बोटोक्स और प्लास्टर जैसे गैर-पुरातन तरीके भी आज सेरेब्रल पाल्सी को सही करने में काफी योगदान देते हैं। बोटोक्स  को मांसपेशियों में लगाने से यह मांसपेशियों की अकड़न को दूर करता है और उन्हें उन्हें सहनशक्ति प्रदान करता हैं। जबकि प्लास्टर बच्चे के निचले अंग के विस्तार तालमेल को रोकने में मदद कर सकता है जो बाद में सामान्य प्रकार से चलने फिरने में मदद कर सकता है और मांसपेशियों में तनाव को कम करता है।

सेरेब्रल पाल्सी के साथ जीवन प्रत्याशा

सेरेब्रल पाल्सी से जुड़ा एक आम मिथक है कि यह बच्चे की जीवन प्रत्याशा को प्रभावित करता है। यहाँ हम आपको बता दें कि यह कथन असत्य है। बहुत से बच्चे जो सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित होते हैं उनकी जीवन प्र्तयशा भी सामान्य बच्चो के समान ही होती है। सेरेब्रल पाल्सी जीवन प्रत्याशा में बाधा नहीं डालता है बशर्ते आप अपने बच्चे को सर्वोत्तम चिकित्सा सहायता प्रदान करते हैं।

यदि आप अपने बच्चे को सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्त पते हैं तो आज ही सी के बिरला हॉस्पिटल आयें और हमारे बाल एवं अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. रीताद्युति मुखोपाध्याय से संपर्क करें।

इसके बारे में भी पढ़ें: क्या क्लबफुट का स्थायी इलाज संभव है?

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