क्या क्लबफुट का स्थायी इलाज संभव है?
एक रिसर्च के अनुसार, प्रत्येक 1000 जन्मों में से 1 बच्चा क्लबफुट से अवश्य प्रभावित होता है। यह संख्या अलग अलग देशों में अलग-अलग हो सकती है। यदि क्लबफुट का इलाज (Clubfoot treatment in Hindi) सही समय पर और सही तरीके से न किया जाये तो इसका परिणाम आजीवन विकलांगता और असहनीय दर्द हो सकता है। इसके विपरीत, यदि इस बीमारी का जन्म के ठीक बाद इलाज कर लिया जाये, तो इस स्थिति में सुधार के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
दरअसल यह बीमारी इतनी सामन्य नहीं है जिस कारण अधिकतर लोग इससे अभिज्ञ हैं। जागरूकता के आभाव के कारण यह आसानी से सुधारात्मक विकृति बहुत सारे बच्चों में स्थायी विकलांगता का कारण बन जाती है। अतः आवश्यक है कि आपको पूरी जानकारी हो कि क्लबफुट (Clubfoot in Hindi) क्या होता है? इस लेख में, हम आपको विस्तार से बतायेंगे कि क्लबफुट क्या होता है (What is clubfoot in Hindi) और किस प्रकार सही समय पर इसका पता लगाकर इसका इलाज (Clubfoot treatment in Hindi) किया जा सकता है।
Table of Contents
क्लबफुट क्या होता है? – What is clubfoot in Hindi
क्लबफुट एक प्रकार की पैर से सम्बन्धित जन्मजात विकृति (जन्म के समय उपस्थित) होती है जिसमें जन्म के समय से ही बच्चे का पैर उसके सामान्य आकार का नहीं होता है। यह या तो बाहर की ओर या अंदर की ओर मुड़ा होता है। यह नवजात शिशुओं में पायी जाने वाली सबसे आम विकृति है जो हड्डियों और जोड़ों से सम्बन्धित होती है।
यह स्थिति सामान्य भी हो सकती है और कुछ परिस्थितियों में यह स्थिति गंभीर भी हो सकती है और शिशु के एक पैर या दोनों पैरों में भी दिखाई दे सकती है। पैर की मांसपेशियों को पैर की हड्डियों से जोड़ने वाले टेंडन्स के छोटे और तंग होने के कारण यह विकृति होती है जिस कारण शिशु का पैर अंदर की तरफ मुड़ जाता है।
क्लबफुट का मुख्य कारण – Causes of clubfoot in Hindi
यधपि क्लबफुट क्यों होता है इसका सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, किन्तु कुछ प्रतिष्ठित अनुसंधानों के अनुसार यह स्थिति किसी एक जीन संचरण के कारण नहीं अपितु कुछ आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों की परस्पर जटिल क्रिया के कारण होती है।
जन्म के साथ क्लबफुट स्थिति की संभावना को बढ़ाने वाले जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं:
- माता या पिता द्वारा धूम्रपान सेवन
- गर्भ में एमनियोटिक द्रव की कमी
- पहली गर्भावस्था
आनुवंशिक या न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के साथ पैदा होने वाले बच्चों में कभी कभी क्लबफुट का एक अन्य रूप भी देखने मिलता है जो मांसपेशियों के असंतुलन का कारण बनता है। क्लबफुट के इस रूप को “द्वितीयक क्लबफुट” कहा जाता है।
क्लबफुट का निदान – Diagnosis of clubfoot in Hindi
प्रेगनेंसी के दौरान, 20वें सप्ताह के अल्ट्रासाउंड स्कैन में भी क्लबफुट का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, अधिकांश मामलों में इस स्थिति का पता जन्म के बाद बाल रोग विशेषज्ञ या बाल रोग आर्थोपेडिक सर्जन द्वारा मेडिकल जांच के बाद ही लगाया जा सकता है।
क्या क्लबफुट इलाज योग्य है?
सौभाग्यवश, क्लबफुट का इलाज पूरी तरह से किया जा सकता है, बशर्ते इसका इलाज सही समय पर किया जाए। इस स्थिति के इलाज की प्रक्रिया में शिशु के पैर के प्रभावित हिस्से पर क्रमिक प्लास्टर (अनुक्रमिक मलहम) किया जाता है जो इसके दीर्घकालिक प्रभाव को रोकने में भी सक्षम होता है। वास्तव में, सही इलाज के बाद इस विकृति के साथ पैदा हुए बच्चों को भविष्य में किसी भी कार्यात्मक कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता।
अच्छे परिणाम के लिए आवश्यक है, विकृति का पता चलते ही जितना जल्दी हो सके इलाज शुरू करा दें। डॉ हर्षवर्धन हेगड़े के अनुसार – जन्म के 5-7 दिनों के बाद कास्टिंग शुरू करा देनी चाहिए। उचित समय पर इलाज से लगभग 95-98% प्रभावित बच्चे पूरी तरह से बिना किसी सर्जिकल सुधार के ठीक हो सकते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान या जन्म के तुरन्त बाद क्लबफुट का निदान कर लिया जाता है, तो इस स्थिति में माता-पिता को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
यहाँ यह याद रखना अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि यदि समय पर इलाज नहीं कराया जाये तो यह स्थिति उम्र के साथ और बिगड़ सकती है, इसलिए बच्चे के स्वस्थ और सामान्य जीवन जीने के लिए शुरुआती चिकित्सा हस्तक्षेप आवश्यक है।
क्लबफुट का इलाज – Clubfoot treatment in Hindi
बिना सर्जरी किये भी क्लबफुट का इलाज (Clubfoot treatment in Hindi) किया जा सकता है। इसके इलाज के प्रोटोकॉल में प्रारंभिक स्ट्रेचिंग, साप्ताहिक कास्टिंग और ब्रेसिंग का समायोजन होता है।
5-7 दिन बाद, बच्चे के पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद ही इसका इलाज शुरू किया जा सकता है। यदि शिशु का समय से पहले जन्म हुआ है या उसका वजन जन्म के समय बहुत कम (2.5 किलोग्रा से कम) है, उस स्थिति में शिशु के स्वस्थ हो जाने के बाद ही स्ट्रेचिंग प्रारम्भ करनी चाहिए।
साप्ताहिक कास्टिंग का उपयोग करते हुए पैर के क्रमिक सुधार की इस प्रक्रिया को “पोंसेटि तकनीक” कहा जाता है। स्थिति की गंभीरता के आधार पर, यह प्रक्रिया कुछ महीने लम्बी हो सकती है और इसमें विशेष बूट और बार के उपयोग की भी आवश्यकता हो सकती है।
कार्यात्मक, दर्द मुक्त, सीधे पैर और भविष्य में चलने में किसी प्रकार की परेशानी न होना ही इस इलाज प्रक्रिया को करने का मुख्य उद्देश्य है। सही समय पर सही इलाज शीघ्र रिकवरी में सहायक होता है।
कुछ मामलो में पोंसेटि तकनीक वांछित परिणाम नहीं दे पाती, ऐसा उन परिस्थितियों में होता है जब स्थिति अत्यंत जटिल हो या अंतर्निहित स्थिति (द्वितीयक क्लबफुट) इसका कारण हो। ऐसे मामलों के इलाज (Treatment of clubfoot in Hindi) के लिए सर्जिकल सुधार का उपयोग किया जा सकता है।
पोन्सेटि तकनीक क्या होती है? (Ponseti technique in Hindi)
इग्नेसियो वी. पोन्सेटि (चिकित्सक जिन्हे आर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पहचाना जाता है) के नाम पर रखी गयी पोंसेटि तकनीक दुनिया भर में क्लबफुट के इलाज (Treatment of clubfoot in Hindi) के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है। इस तकनीक में एक समयावधि में इस विकृति को ठीक करने के लिए सौम्य स्ट्रेचिंग और अनुक्रमिक कास्टिंग के संयोजन का उपयोग किया जाता है।
इस तकनीक में, बच्चे के पैर को धीरे से स्ट्रेच किया जाता है और उसे सही स्थिति में जोड़ दिया जाता है और इसे एक कास्ट (आमतौर पर पैर की उंगलियों से जांघ तक) की मदद से सही करने का प्रयास किया जाता है। यह प्रक्रिया हर सप्ताह दोहराई जाती है जब तक वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हो जाते हैं। इसमें 6-8 सप्ताह या उससे अधिक समय भी लग सकता है।
एक बार जब स्ट्रेचिंग और अनुक्रमिक कास्टिंग पूरी हो जाती है, तो सर्जन एक छोटे से प्रोसीजर की मदद से एच्लीस टेंडन (एड़ी की हड्डी) में टाइटनेस को कम कर देता है। अगले चरण में एक और छोटा प्रोसीजर किया जाता है जिसे टेनोटॉमी कहा जाता है। इस प्रोसीजर में टेंडन को काटने के लिए बहुत पतले उपकरण का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में टाँके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है।
इसके बाद 3 सप्ताह के लिए सर्जन टेंडन को सपोर्ट और रक्षा देने के लिए एक कास्ट का प्रयोग कर सकता है। एक बार जब टेंडन वापस से एक निश्चित लम्बाई तक बढ़ जाता है तब क्लबफुट (Clubfoot in Hindi) को पूरी तरह सही माना जाता है।
क्लबफुट को सही करने के लिए कितने प्लास्टर की आवश्यकता होती है?
पोन्सेटि तकनीक में, पैर को धीरे से उसकी स्थिति सही करते हुए कास्ट को हर हफ्ते बदल दिया जाता है। हर बार जब प्लास्टर लगाया जाता है, तो पैर को थोड़ा और सही किया जाता है। इसलिए, आवश्यक प्लास्टर की संख्या विकृति की गंभीरता पर निर्भर करती है। हालांकि, आम तौर पर, औसतन 4-10 कास्ट का उपयोग किया जाता है। बच्चे की उम्र अधिक होने पर यह बढ़ सकता है, यदि विकृति अधिक जटिल है, या लंबे समय तक अनुपचारित छोड़ दिया गया हो। ऐसे मामलों में, सप्ताह में दो बार कास्टिंग की भी आवश्यकता हो सकती है।
क्लबफुट के इलाज में अनुक्रमिक कास्टिंग के बाद क्या आता है?
एक बार अंतिम कास्टिंग पूरी हो जाने और कास्टिंग हटाने के बाद, बच्चे को मेटल की पट्टी से जुड़े विशेष जूते पहनने की आवश्यकता होगी। इसे डेनिस ब्राउन / मिशेल पोंसेटि स्प्लिंट कहा जाता है। ये जूते आमतौर पर 3 महीने तक एक दिन में 23 घंटे के लिए पहनाये जाते हैं। 3 वर्ष की आयु के बाद इन जूतों को बच्चे के सोने के समय रात में पहनने की सलाह दी जाती है।
माता-पिता को भी बच्चे की स्ट्रेचिंग जारी रखने की आवश्यकता होती है। क्लबफुट विकृति को ठीक करने में जूतों का उचित उपयोग अत्यंत आवश्यक है।
क्या क्लबफुट के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है?
निम्नलिखित मामलों में, क्लबफुट के इलाज के लिए सर्जरी (Surgery for clubfoot treatment) की आवश्यकता हो सकती है:
- पैरों में जकड़न होने के कारण
- सिन्ड्रोमिक बच्चों में सेकेंडरी क्लबफुट के कारण
- न्यूरोमस्कुलर विकार वाले बच्चे
- अनुपचारित क्लबफुट
ऐसे सभी मामलों में, यदि बच्चे में चलने फिरने के दौरान हाइपरएक्टिव टेंडन के लक्षण दिखते हैं तब आमतौर पर टेंडन स्थानांतरण की आवश्यकता होती है।
क्लबफुट के अन्य सर्जिकल उपचारों में सॉफ्ट टिस्सु रिलीज, बाहरी फिक्सर के साथ क्रमिक सुधार, बोन कटिंग सर्जरी या पैर के जोड़ों का संलयन शामिल है।
क्या क्लबफुट के इलाज में कोई जोखिम शामिल हैं?
जब तक सही उपचार प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है, इस उपचार तकनीक में कोई महत्वपूर्ण जोखिम शामिल नहीं हैं। कुछ मामलों में, यदि बच्चे की त्वचा अधिक संवेदनशील है या यदि कास्ट का उपयोग उचित तरीके से नहीं किया गया है, तो प्लास्टर त्वचा पर घावों का कारण बन सकता है। इनका आसानी से एंटीबायोटिक्स द्वारा इलाज किया जाता है और लगभग एक सप्ताह तक कास्टिंग की जाती है।
यदि पोन्सेटि तकनीक को सही तरीके से नहीं किया जाता है, तो इसके परिणामस्वरूप रॉकर बॉटम फुट (मिडफुट ब्रेक) या आईट्रोजेनिक कॉम्प्लेक्स क्लबफुट जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। कास्टिंग के बाद एड़ी की हड्डी को काटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया से रक्तस्राव भी हो सकता है, हालांकि यह आसानी से मैनेज हो सकता है।
क्या क्लबफुट के साथ पैदा हुए बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं?
सौभाग्यवश, सही उपचार के साथ, इस विकृति के साथ पैदा हुए बच्चे लगभग सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं, वो अच्छे से चल सकते हैं, भाग सकते हैं, खेल सकते हैं और सामान्य जूते पहन सकते हैं। कुछ मामलों में प्रभावित पैर, दूसरे पैर से 1 से 1.5 इंच छोटा हो सकता है।
कॉल्फ मसल्स भी छोटी हो सकती हैं, जिससे बच्चे को दर्द या थकान महसूस हो सकता है। हालांकि, यह शायद ही कभी किसी महत्वपूर्ण समस्या का कारण बनता है।
क्लबफुट का इलाज कौन करता है?
इस स्थिति का इलाज एक प्रशिक्षित बाल चिकित्सा आर्थोपेडिक सर्जन द्वारा किया जाता है। लंबी अवधि की जटिलताओं से बचने और बच्चे के चलने के समय तक पैर की पूर्ण कार्यक्षमता प्राप्त करने के लिए विस्तार पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
भले ही यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल और गैर-सर्जिकल हो, लेकिन पैर को सही ढंग से संरेखित करने के लिए सही इलाज की आवश्यकता होती है। अपने शिशु की स्थिति के इलाज के लिए एक अनुभवी बाल चिकित्सा आर्थोपेडिक सर्जन चुनें, जो क्लबफुट का इलाज (Treatment of clubfoot in Hindi) करने में पारंगत है।
यदि आपके शिशु में गर्भावस्था के दौरान या जन्म के तुरंत बाद क्लबफुट का पता लगता है, तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तुरंत उपचार शुरू किया जाए। बेहतर परिणाम के लिए होम केयर निर्देशों का पालन करें जैसे कि डॉक्टर द्वारा दिए गए बच्चे के लिए व्यायाम कराना इत्यादि ।
Also, read this in English: Finding the permanent solution for clubfoot!