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Neutrophils in Hindi (White Blood Cell Kaise Badhaye)

What is Neutrophils in Hindi
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न्यूट्रोफिल एक प्रकार का सफेद रक्त कोशिका है जो शरीर को संक्रमण यानी इंफेक्शन से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है। न्यूट्रोफिल का स्तर आमतौर पर संक्रमण के कारण प्रभावित होता है, लेकिन दूसरी समस्याएं और निश्चित दवाओं का सेवन भी इसका कारण हो सकते हैं।

डॉक्टर का कहना है कि कई बार शारीरिक और मानसिक तनाव या नशीली चीजों का सेवन के कारण न्यूट्रोफिल का स्तर बढ़ सकता है। न्यूट्रोफिल वास्तव में सफ़ेद रक्त कोशिलाओं का ही एक प्रकार है जो हमें हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों से बचाता है।

शरीर में न्यूट्रोफिल कितना होना चाहिए?

डॉक्टर के मुताबिक, हमारे शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा 40-70 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए। शरीर में न्यूट्रोफिल इतनी मात्रा होने पर यह हमें बीमार होने से बचा सकता है। शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा 40% से कम या 70% से अधिक होने पर कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

न्यूट्रोफिल बढ़ने का क्या कारण है (Causes of High Neutrophils in Hindi)

शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा 70% से अधिक होने पर इसे मेडिकल भाषा में न्यूट्रोफिलिया कहा जाता है। निम्न कारणों से शरीर में न्यूट्रोफिल बढ़ सकता है:-

  • गर्भवती महिलाओं में न्यूट्रोफिल अधिक होता है
  • किसी प्रकार की सर्जरी होने पर न्यूट्रोफिल बढ़ने का खतरा होता है
  • हार्ट अटैक होने या दिल का दौरा पड़ने पर न्यूट्रोफिल की मात्रा बढ़ सकती है
  • अत्यधिक मात्रा में सिगरेट का सेवन करने या तनाव, डिप्रेशन से ग्रसित होने पर न्यूट्रोफिल का स्तर बढ़ सकता है।
  • किसी दिन नियमित से अधिक व्यायाम करने पर शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा बढ़ने का खतरा होता है।
  • जब किसी व्यक्ति को बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है तो न्यूट्रोफिल बैक्टीरिया से लड़ता है जिसके दैरान शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा बढ़ जाती है।

इन सबके अलावा, दूसरी भी अनेक ऐसी स्थितियां और समस्याएं हैं जिसके कारण शरीर में न्यूट्रोफिल का स्तर बढ़ सकता है।

न्यूट्रोफिल क्यों घटता है (Causes of Low Neutrophils in Hindi)

जब शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा 30% से कम होती है तो इस स्थिति को मेडिकल भाषा में न्यूट्रिपेनिया कहते हैं। न्यूट्रोफिल कम होने के कई कारण होते हैं जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-

  • खून में बोन मैरो का उत्पादन होता है, इसलिए बोन मैरो सही से काम नहीं करने पर न्यूट्रोफिल घटने का खतरा बढ़ सकता है।
  • अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित मरीज में न्यूट्रोफिल की मात्रा कम हो सकती है
  • अगर किसी व्यक्ति का केमोथेरेपी उपचार चल रहा है तो उपचार के दौरान दिए जाने इंजेक्शन के कारण शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा घट सकती है।

इन सबके अलावा, दूसरी भी अनेक ऐसी मेडिकल स्थितियां हैं जिनके कारण न्यूट्रोफिल की मात्रा घट सकती है। इसमें हेपटाइटिस ए, बी और सी, एचआईवी, सेप्सिस और ल्यूकेमिया आदि शामिल हैं।

न्यूट्रोफिल टेस्ट क्या होता है (Diagnosis of Neutrophils in Hindi)

अगर आपके मन में यह प्रश्न उठता है कि न्यूट्रोफिल की जांच कैसे करवाएं तो हम आपको बता दें की न्यूट्रोफिल्स के स्तर की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट का सुझाव देते हैं।

हालांकि, अगर डॉक्टर को कोई संदेह होता है तो वह अन्य जांच करने का सुझाव दे सकते हैं। इन जांचों की मदद से डॉक्टर संक्रमण के प्रकार का पता लगाकर उपचार के माध्यम का चुनाव करते हैं। उसके बाद, इलाज की प्रक्रिया शुरू होती है।

न्यूट्रोफिल कैसे घटाएं (How to Decrease Neutrophils in Hindi)

न्यूट्रोफिल का स्तर सामान्य से अधिक होने पर ढेरों समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है जो आगे जाकर आपको परेशान कर सकते हैं। जब शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा 70% से अधिक होती है तो इसे मेडिकल भाषा में न्युट्रोपेनिया कहते हैं।

न्यूट्रोफिल की मात्रा बढ़ने पर आपको घरेलु नुस्खों के भरोसे बैठने के बजाय तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए। डॉक्टर जांच करके न्यूट्रोफिल बढ़ने के सटीक कारण का पता लगाते हैं, फिर उसके आधार पर उपचार के माध्यम का चयन करते हैं।

न्यूट्रोफिल कैसे बढ़ाएं (How to Increase Neutrophils in Hindi)

अगर आपके शरीर में न्यूट्रोफिल का स्तर घट गया है तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद आप निम्न बिंदुओं का पालन कर इसके स्तर को बढ़ा कर सकते हैं:-

  • पाने हाथों को नियमित रूप से हल्का गर्म पानी या जीवाणुरोधी साबुन से अच्छी तरह धोएं  
  • कीटाणुओं और जीवाणुओं से बचने के लिए फेस मास्क पहनें
  • जिन्हें सर्दी या फ्लू है उनसे दूर रहें
  • संक्रमण से बचने के लिए अपने मुंह के स्वास्थ्य का खास ध्यान रखें
  • डॉक्टर से परामर्श करने के बाद पोषक तत्वों की खुराक का प्रयोग करें
  • विटामिन सी से भरपूर फलों और सब्जियों का सेवन करें
  • विटामिन ई और जिनक से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें
  • विटामिन बी-12 से भरपूर खाद्य पदार्थ न्युट्रोपेनिया में फायदेमंद होते हैं
  • कच्चे मांस, मच्छली और अंडे आदि के सेवन से बचें
  • सभी खद्ध पदार्थों को अच्छी तरह धोने के बाद ही खाएं 
  • स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने का सुझाव दे सकते हैं
  • डॉक्टर से इस बात की पुष्टि कराएं कि दूसरी कौन सी स्थितियां आपके न्यूट्रोफिल के स्तर को प्रभावित कर रही हैं?

निष्कर्ष

शरीर में न्यूट्रोफिल का स्तर कम होने पर रक्त कोशिकाएं प्रभावित होती हैं जिससे आपके शरीर को संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है। शरीर में पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रोफिल नहीं होने के कारण शरीर संक्रमण से लड़ने में असमर्थ होता है। ऐसी स्थिति में कई तरह की समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

जैसे शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा कम होने पर कई तरह की समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, वैसे ही इसकी मात्रा अधिक होने पर भी अनेक समस्याएं हो सकती हैं। न्यूट्रोफिल की मात्रा को संतुलित रखने के लिए आपको अपनी जीवनशैली और डाइट पर ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता है।

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