इओसिनोफिलिया क्या है – कारण, लक्षण और घरेलू उपचार (Eosinophils in Hindi)
मनुष्य के शरीर में जब इओसिनोफिलिस (eosinophils) कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है, तो इस स्थिति को मेडिकल भाषा में इओसिनोफिलिया कहते हैं। डॉक्टर के अनुसार, खून में इओसिनोफिलिस की संख्या एक माइक्रोलिटर में 500 से अधिक होने पर इओसिनोफिलिया की स्थिति पैदा होती है।
आइए इस ब्लॉग के जरिए हम इओसिनोफिलिया किसे कहते हैं (What is Eosinophils in Hindi), इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपचार के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
Table of Contents
इओसिनोफिलिया क्या है (Eosinophils in hindi)
इओसिनोफिल श्वेत रक्त कोशिका यानी वाइट ब्लड सेल्स (White Blood Cells) का एक प्रकार है। श्वेत रक्त कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इनका मुख्य कार्य शरीर में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस व संक्रमण से लड़ना है और इसके प्रभाव से शरीर को बचाना है। लेकिन जब किसी कारण खून में इसकी संख्या बढ़ जाती है, तो इस स्थिति को इओसिनोफिलिया कहा जाता है।
शरीर के अंदर इओसिनोफिल कोशिकाओं का निर्माण बोन मेरो या अस्थि मज्जा में होता है और इन कोशिकाओं को पूरी तरह से विकसित होने में 8 दिन का समय लगता है। इन कोशिकाओं का बढ़ा हुआ उत्पादन अक्सर एलर्जी या फंगल संक्रमण का परिणाम होता है। हालांकि, कुछ चिकित्सीय स्थिति या दवाएं भी इओसिनोफिल्स के बढ़ने का कारण बन सकते हैं। सामान्यतः आपके शरीर में इओसिनोफिल कोशिकाओं की अधिक मात्रा नहीं होती है।
कुछ मामलों में, इओसिनोफिल्स का उत्पादन बढ़ सकता है और आपके रक्त, अंगों, या हृदय, फेफड़े, अन्नप्रणाली या आंत जैसे ऊतकों तक पहुंच सकता है, जिससे ऊतकों को नुकसान या क्रोनिक कफ का सामना करना पड़ सकता है। चिकित्सा भाषा में कहा जाए तो इओसिनोफिल कोशिकाओं के बढ़े हुए स्तर को “ब्लड इओसिनोफिलिया” कहा जाता है। यही इओसिनोफिलिया ऊतकों को प्रभावित करे तो इस स्थिति को “टिश्यू इओसिनोफिलिया” कहा जाता है।
इओसिनोफिलिया मरीज के फेफड़ों, दिल, रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels), साइनस, गुर्दे और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इसके इलाज के लिए एक अनुभवी डॉक्टर से परामर्श लें।
इओसिनोफिलिया के प्रकार (Eosinophilia Types in Hindi)
रक्त में तीन मुख्य प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स शामिल हैं। श्वेत रक्त कोशिकाएं मुख्यत तीन प्रकार की होती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- न्यूट्रोफिल, ईोसिनोफिल और बेसोफिल (इसे ग्रेन्यूलोसाइट्स भी कहा जाता है)
- लिम्फोसाइट्स (लिम्फोसाइट्स बी और लिम्फोसाइट्स टी)
- मोनोसाइट्स
इओसिनोफिलिया के कारण (Eosinophilia Causes in Hindi)
इओसिनोफिल की स्थिति में मरीज के खून में इओसिनोफिल्स की संख्या बढ़ जाती है। खून में इओसिनोफिल्स की संख्या बढ़ने के अनेक कारण (eosinophilia causes) हो सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं व रोग जो इओसिनोफिलिया का कारण बन सकते हैं, जैसे:
- एलर्जी से संबंधित विकार होना
- पैरासाइट और फंगल इंफेक्शन
- कैंसर होना
- दमा की शिकायत होना
- एलर्जिक राइनाइटिस से ग्रसित होना
- त्वचा से संबंधित कोई समस्या होना
- ऑटोइम्यून डिजीज यानी स्व-प्रतिरक्षी रोग से पीड़ित होना
- बोन मैरो से संबंधित किसी प्रकार की समस्या होना
चलिए सभी कारणों को एक एक करके समझते हैं –
1. एलर्जी से संबंधित विकार:
अधिकतर मामलों में देखा गया है कि इओसिनोफिलिया के पीछे का कारण एलर्जी से संबंधित विकार होते हैं। अस्थमा, एलर्जिक राइनाइटिस, और एटोपिक डर्मेटाइटिस कुछ ऐसे एलर्जी है, जिससे एक व्यक्ति गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।
2. पैरासाइट और फंगल इंफेक्शन:
इओसिनोफिलिया के कारणों (eosinophilia causes) में पैरासाइट और फंगल संक्रमण भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।
3. कैंसर:
इओसिनोफिलिया कुछ प्रकार के कैंसर के कारण भी हो सकता है। ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, और मैलिग्नेंट मेलानोमा कुछ प्रकार के कैंसर है जो इओसिनोफिलिया का कारण बन सकते हैं।
4. दमा की शिकायत होना:
यदि आपको दमा की शिकायत रहती है, तो इसके कारण इओसिनोफिलिया की समस्या हो सकती है। कई मामलों में दमा के कारण स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है। दमा की वजह से इओसिनोफिल्स ब्रोन्कियल ट्यूब में सूजन आ सकती है।
5. एलर्जिक राइनाइटिस:
एलर्जिक राइनाइटिस में इओसिनोफिल्स नाक में सूजन और खुजली जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
6. त्वचा से संबंधित कोई समस्या होना:
त्वचा से संबंधित समस्याएं, जैसे कि एक्जिमा और सोरायसिस, इओसिनोफिलिया के मुख्य कारणों में से एक है।
ऑटोइम्यून डिजीज:
कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां, जैसे रूमेटिक आर्थराइटिस और सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस, इओसिनोफिलिया जैसे रोग के मुख्य कारण बन सकते हैं।
7. बोन मैरो से संबंधित किसी प्रकार की समस्या होना:
बोन मैरो या अस्थि मज्जा से संबंधित कुछ समस्याएं हैं, जैसे माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम और ल्यूकेमिया, जो इओसिनोफिलिया का कारण (eosinophilia causes) बन सकते हैं। इन स्थितियों में, बोन मैरो इओसिनोफिल्स का उत्पादन करने में असमर्थ रहते हैं और रोगी को बहुत परेशान करते हैं।
इन सबके अतिरिक्त, इओसिनोफिलिया के दूसरे भी अन्य कारण हो सकते हैं, जिसमें हेलमाइंथिक पैरासाइट संक्रमण (Helminth Parasite Infection) एटॉपिक, एलर्जी रोग या किसी दवा के प्रति रिएक्शन आदि शामिल है।
Also Read: खांसी का कारण और इलाज | Cough in Hindi
इओसिनोफिलिया के लक्षण (Eosinophilia Symptoms in Hindi)
आमतौर पर इओसिनोफिलिया के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं। लेकिन दुर्लभ मामलों में मरीज खुद में कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं, जैसे कि:
- सूजन होना
- खुजली होना
- दिल संबंधित बीमारी होना
- नर्व डैमेज होना
साथ ही, कारणों के आधार पर (Different Symptoms of Eosinophilia in Hindi) इओसिनोफिलिया के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे कि:
- अस्थमा के कारण इओसिनोफिलिया होने पर घबराहट होना, सांस फूलना और सांस लेने में दिक्कत होना
- किसी दवा के प्रति रिएक्शन होने पर त्वचा संबंधित लक्षण दिख सकते हैं जैसे कि त्वचा पर लाल चकत्ते होना
- परजीवी संक्रमण के कारण इओसिनोफिलिया होने पर पेट में दर्द होना, बुखार, खांसी, दस्त और त्वचा पर चकत्ते होना आदि
इओसिनोफलिया के दुर्लभ लक्षणों (ये बहुत कम देखे जाते हैं) में वजन घटना, रात को पसीना आना, लिम्फ नॉड्स का आकार बढ़ना और नसों को नुकसान पहुंचने के कारण प्रभावित अंगों में झुनझुनी या सुन्न महसूस होना आदि शामिल हैं।
ऐसा कई बार देखा गया है कि इओसिनोफिलिया की समस्या तब सामने आती है, जब डॉक्टर किसी और रोग की जांच के लिए रक्त का परीक्षण करते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है कि इस रोग के बारे में आपको सूचना अचानक से मिले। यदि आप निम्न में से किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच कराएं –
- घरघराहट होना या सांस फूलना
- पेट दर्द, दस्त, बुखार, खांसी या त्वचा पर किसी दूसरे प्रकार की समस्या
- शरीर के किसी भाग का सुन्न हो जाना या उसमें झुनझुनी जैसी सनसनी महसूस होना
- अपने आप शरीर का वजन कम होना
इओसिनोफिलिया से बचाव (Prevention of Eosinophils in Hindi)
इओसिनोफिलिया के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिससे बचाव संभव नहीं है। कुछ साधारण निर्देशों का पालन कर इस रोग से बचाव संभव है जैसे –
- एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों से दूरी बनाएं।
- बाहर से घर आने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
- अपने शरीर के साथ-साथ घर की सफाई का खास ध्यान रखें।
- मौसम में बदलाव के समय खान-पान का ख़ास ध्यान रखें।
- कच्चे फलों और सब्जियों को खाने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोएं।
- बाहर की चीजों और फास्ट फूड एवं कोल्ड ड्रिंक्स का अत्यधिक सेवन करने से बचें।
- खाने और पानी की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। आवश्यकता के अनुसार पानी को उबाल कर पीएं।
- यौन संबंधी गतिविधियों में विशेष रूप से सावधानियां बरतें।
- दूध और अन्य डेयरी उत्पाद के सेवन पर खास ध्यान रखें।
इओसिनोफिलिया का इलाज (Eosinophilia Treatment in Hindi)
इओसिनोफिलिया का उपचार कई तरह से किया जाता है। इओसिनोफिलिया का उपचार आमतौर पर इसके कारणों पर निर्भर करता है। कारण के निर्धारित होने के बाद इलाज भी अलग अलग होते हैं। उदाहरण के लिए कहा जाए तो यदि किसी दवा या विशेष खाद्य पदार्थ के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है, तो डॉक्टर आपको बचाव के तौर पर उन दवाओं के सेवन को बंद करने की सलाह दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य दवाएं हैं, जिसका सुझाव आपके डॉक्टर के द्वारा दिया जा सकता है। इसकी सहायता से बहुत सारे लक्षणों से आराम भी मिल सकता है।
उपचार से पहले डॉक्टर इओसिनोफिलिया का निदान करने के लिए कुछ जांच करने का सुझाव देते हैं। जांच के परिणाम से इओसिनोफिलिया के सटीक कारण के बारे में पता चलता है। उसके बाद, कारणों के आधार पर डॉक्टर उपचार के माध्यम का चयन कर उपचार की प्रक्रिया को शुरू करते हैं। इलाज के दौरान उन दवाओं का प्रयोग किया जाता है, जो फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के द्वारा प्रमाणित होती है। उदाहरण के लिए यदि इओसिनोफिलिया का कारण अस्थमा है तो इलाज के लिए जिस दवा का प्रयोग किया जाएगा वह एफ़डीए के द्वारा प्रमाणित होगी। इन दवाओं को सिर्फ अस्पताल में ही दिया जाता है और दवा के बाद डॉक्टर उनके स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं।
Also Read: प्रतिरोधक क्षमता(इम्यूनिटी) बढ़ाने के लिए क्या खाएं?
इओसिनोफिलिया का परीक्षण
इओसिनोफिल्स कोशिकाओं की बढ़ती मात्रा के निदान के लिए डॉक्टर मरीज के शरीर से ऊतकों का सैंपल ले सकते हैं और उनकी जांच कर सकते हैं। परीक्षण के परिणाम के आधार पर ही डॉक्टर इलाज की योजना बनाते हैं। इतना ही नहीं इओसिनोफिलिया की जांच के लिए डॉक्टर शरीर में मौजूद अन्य द्रवों की जांच भी कर सकते हैं। इसके साथ साथ इओसिनोफिल्स (eosinophils) कोशिकाओं का बढ़ा हुआ स्तर खून की जांच के दौरान मिल सकता है। इओसिनोफिल्स या इसके कारण की पुष्टि के लिए कुछ अन्य टेस्ट भी डॉक्टर करवा सकते हैं, जैसे:
- लिवर फंक्शन टेस्ट
- छाती का एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, या एमआरआई कैंसर के कारण की पहचान कर सकते हैं।
- यूरिन टेस्ट
- अन्य प्रकार के खून टेस्ट
- ऊतक व बोन मेरो का बायोप्सी टेस्ट (ऊतक व बोन मेरो से सेंपल लेकर उनकी जांच करना)
- स्टूल टेस्ट
- ट्यूमर मार्कर टेस्ट
इओसिनोफिलिया के कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर इन परीक्षणों का उपयोग करके एक व्यापक मूल्यांकन करेंगे और स्थिति के आधार पर इलाज की योजना बनाएंगे।
इओसिनोफिलिया में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए ( Eosinophilia diet in hindi)
कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों के कारण इओसिनोफिलिया की समस्या बढ़ जाती है, इसलिए इस बीमारी के इलाज के लिए सही डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए। इस बीमारी के इलाज के दौरान उन सभी खाद्य पदार्थों को हटा देना बहुत ज्यादा अनिवार्य होता है, जिसके कारण आपको एलर्जी हो सकती है। नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं कि इओसिनोफिलिया के मामले में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं –
क्या खाएं
- फल: सेब, संतरे, अंगूर, ब्लूबेरी, केला, पपीता, और अनानास
- सब्जियां: पालक, ब्रोकोली, गाजर, टमाटर, खीरा, और मूली
- होल ग्रेन: जई, ओट्स, क्विनोआ, और ब्राउन राइस
- हेल्दी फैट: अलसी का तेल, जैतून का तेल, और एवोकाडो
- प्रोटीन: चिकन, मछली, टोफू, और बीन्स
क्या न खाएं
- एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ: डेयरी उत्पाद, अंडे, नट्स, बीज, फलियां, और सीफूड।
- पैरासाइट संक्रमण वाले खाद्य पदार्थ: कच्चे या आधे पके हुए मांस या समुद्री जीव का भोजन। कच्चे या अधपके अंडे, और बिना धोए हुए फल और सब्जियां भी स्थिति को खराब कर सकती हैं।
- कैंसर वाले खाद्य पदार्थ: प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट, तला हुआ भोजन, और शर्करा युक्त पेय पदार्थ।
यदि आपको इओसिनोफिलिया है, तो अपने डॉक्टर से बात करें और अपने लिए एक विशिष्ट डाइट चार्ट की मांग करें। इससे आपको बहुत ज्यादा लाभ मिल सकता है।
निष्कर्ष
श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती हैं जिससे यह आसानी से संक्रमण, वायरस या बैक्टीरिया के कारण बनने वाले अन्य रोगाणुओं से लड़ता है। इन रोगाणुओं से लड़ने के लिए सिर्फ एक ही प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं की आवश्यकता नहीं होता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित कई प्रकार की कोशिकाएं होती हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक तरह से काम करने के लिए इन कोशिकाओं का सही मात्रा (ना अधिक ना कम) होना आवश्यक है। अगर आप इओसिनोफिलिया के लक्षण को खुद में अनुभव करते हैं तो आपको तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
इओसिनोफिलिया कब होता है ?
इओसिनोफिलिया की समस्या तब होती है जब इओसिनोफिल्स कोशिकाओं की संख्या सामान्य से अधिक हो जाती है। इओसिनोफिलिया की समस्या के होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे पैरासाइट संक्रमण, एलर्जी, कैंसर, और ऑटोइम्यून विकार।
इओसिनोफिलिया की रोकथाम के लिए क्या करें ?
इओसिनोफिलिया की रोकथाम के लिए कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन कुछ चीजें हैं, जिससे इस रोग के जोखिम को बहुत हद तक कम किया जा सकता है जैसे –
- एलर्जी को नियंत्रित करें
- पैरासाइट इंफेक्शन से बचें
- कैंसर के जोखिम को कम करें
इओसिनोफिलिया (eosinophils) के इलाज के लिए डॉक्टर से कब परामर्श लेना चाहिए ?
निम्नलिखित लक्षण दिखने पर रोगी को जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है –
- बुखार
- थकान
- दर्द
- सूजन
- खुजली
- श्वसन संबंधित समस्याएं
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखते हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
इओसिनोफिलिया से क्या परेशानियां हो सकती हैं ?
इओसिनोफिलिया के कारण रोगी को निम्नलिखित समस्या का सामना करना पड़ सकता है –
- श्वसन संबंधी समस्या
- पेट और आंतों की समस्या
- त्वचा की समस्या
- कैंसर
क्या इओसिनोफिलिया का इलाज संभव है ?
आमतौर पर इओसिनोफिलिया का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है। जिस भी कारण का निदान होता है, डॉक्टर उसी के आधार पर इलाज की योजना बनाते हैं। यदि इओसिनोफिलिया का कारण एलर्जी है, तो डॉक्टर सबसे पहले एलर्जी का इलाज करते हैं।
इओसिनोफिलिया का सामान्य स्तर क्या है ? (eosinophils normal range)
एक स्वस्थ व्यक्ति में रक्त में इओसिनोफिल्स की संख्या (eosinophils normal range) प्रति माइक्रोलीटर 30 से 350 के बीच होती है। इससे कम या ज्यादा स्तर होने पर व्यक्ति को बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है।