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इओसिनोफिलिया क्या है – कारण, लक्षण और घरेलू उपचार (Eosinophils in Hindi)

इओसिनोफिलिया क्या है कारण, लक्षण और उपचार Banner
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मनुष्य के शरीर में जब इओसिनोफिलिस कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है तो इस स्थिति को मेडिकल भाषा में इओसिनोफिलिया कहते हैं। डॉक्टर के अनुसार, खून में इओसिनोफिलिस की संख्या एक माइक्रोलिटर में 500 से अधिक होने पर इओसिनोफिलिया की स्थिति पैदा होती है।

आइए इस ब्लॉग के जरिए हम इओसिनोफिलिया किसे कहते हैं (What is Eosinophils in Hindi), इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपचार के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

इओसिनोफिलिया क्या है (Eosinophils Meaning in Hindi)

इओसिनोफिल श्वेत रक्त कोशिका यानी सफेद रक्त कोशिका (White Blood Cells) का एक प्रकार है। श्वेत रक्त कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका काम शरीर को संक्रमण (Infection) से बचाना है। लेकिन जब किसी कारण खून में इसकी संख्या बढ़ जाती है तो इस स्थिति को इओसिनोफिलिया कहा जाता है।

इओसिनोफिलिया मरीज के फेफड़ों, दिल, रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels), साइनस, गुर्दे और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है।

इओसिनोफिलिया के प्रकार (Eosinophilia Types in Hindi)

रक्त में तीन मुख्य प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स शामिल हैं। श्वेत रक्त कोशिकाएं मुख्यत तीन प्रकार की होती हैं जिसमें शामिल हैं:

  1. न्यूट्रोफिल, ईोसिनोफिल और बेसोफिल (इसे ग्रैनुलोसाइट्स भी कहा जाता है)
  2. लिम्फोसाइट्स (लिम्फोसाइट्स बी और लिम्फोसाइट्स टी)
  3. मोनोसाइट्स

इओसिनोफिलिया के कारण (Eosinophilia Causes in Hindi)

इओसिनोफिल की स्थिति में मरीज के खून में इओसिनोफिल्स की संख्या बढ़ जाती है। खून में इओसिनोफिल्स की संख्या बढ़ने के अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे कि:

  • एलर्जी से संबंधित विकार होना
  • परजीवी और फंगल इंफेक्शन होना
  • कैंसर होना
  • दमा की शिकायत होना
  • एलर्जिक राइनाइटिस से ग्रसित होना 
  • त्वचा से संबंधित कोई समस्या होना
  • ऑटोइम्यून डिजीज यानी स्व-प्रतिरक्षी रोग से पीड़ित होना
  • बोन मैरो से संबंधित किसी प्रकार की समस्या होना

इन सबके अलावा, इओसिनोफिलिया के दूसरे भी अन्य कारण हो सकते हैं जिसमें हेल्मिंथिक परजीवी संक्रमण (Helminth Parasite Infection) एटॉपिक, एलर्जी रोग या किसी दवा के प्रति रिएक्शन आदि शामिल हैं।

इओसिनोफिलिया के लक्षण (Eosinophilia Symptoms in Hindi)

आमतौर पर इओसिनोफिलिया के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं। लेकिन दुर्लभ मामलों में मरीज खुद में कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं, जैसे कि:

  • सूजन होना
  • खुजली होना
  • दिल संबंधित बीमारी होना
  • नर्व डैमेज होना

साथ ही, कारणों के आधार पर (Different Symptoms of Eosinophilia in Hindi) इओसिनोफिलिया के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे कि:

  • अस्थमा के कारण इओसिनोफिलिया होने पर घबराहट होना, सांस फूलना और सांस लेने में दिक्कत होना
  • किसी दवा के प्रति रिएक्शन होने पर त्वचा संबंधित लक्षण दिख सकते हैं जैसे कि त्वचा पर लाल चकत्ते होना
  • परजीवी संक्रमण के कारण इओसिनोफिलिया होने पर पेट में दर्द होना, बुखार, खांसी, दस्त और त्वचा पर चकत्ते होना आदि

इओसिनोफलिया के दुर्लभ लक्षणों (ये बहुत कम देखे जाते हैं) में वजन घटना, रात को पसीना आना, लिम्फ नॉड्स का आकार बढ़ना और नसों को नुकसान पहुंचने के कारण प्रभावित अंगों में झुनझुनी या सुन्न महसूस होना आदि शामिल हैं।

इओसिनोफिलिया का इलाज (Eosinophilia Treatment in Hindi)

इओसिनोफिलिया का उपचार कई तरह से किया जाता है। इओसिनोफिलिया का उपचार आमतौर पर इसके कारणों पर निर्भर करता है। उपचार से पहले डॉक्टर इओसिनोफिलिया का निदान करने के लिए कुछ जांच करने का सुझाव देते हैं।

जांच के परिणाम से इओसिनोफिलिया के सटीक कारण के बारे में पता चलता है। उसके बाद, कारणों के आधार पर डॉक्टर उपचार के माध्यम का चयन कर उपचार की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।

इओसिनोफिलिया का घरेलू उपचार (Home Remedies for Eosinophilia in Hindi)

इओसिनोफिलिया का उपचार घरेलू नुस्खों से भी किया जा सकता है। इओसिनोफिलिया के लक्षणों को कम करने के लिए निम्न घरेलू नुस्खों को इस्तेमाल किया जा सकता है:

  • हल्का गर्म पानी में नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदें डालकर उसका भाप लेना
  • चाय में हल्का सा अदरक डालकर इसका सेवन करना
  • एक गिलास पानी में दो चम्मच मेथी के बीज उबालकर उससे गरारे करना
  • पानी में काली मिर्च का पाउडर और शहद मिलाकर दिन में दो बार इसका सेवन करना
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीना यानी शरीर को हाइड्रेट रखना

अगर आप कुछ दिनों तक ऊपर दिए गए घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इओसिनोफिलिया के लक्षणों में काफी राहत मिलेगी। लेकिन ध्यान रहे कि आप डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इन घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करें।

इओसिनोफिलिया से बचाव (Prevention of Eosinophils in Hindi)

हालांकि, इओसिनोफिलिया से बचने का कोई वैज्ञानिक उपाय उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन डॉक्टर के मुताबिक कुछ बातों पर ध्यान देकर इसके खतरे को कम किया जा सकता है। इओसिनोफिलिया से बचने के उपायों में निम्न शामिल हैं:

  • एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों से दूर रहना
  • बाहर से घर आने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना
  • अपने शरीर के साथ-साथ घर की सफाई का खास ध्यान रखना
  • मौसम में बदलाव के समय खान-पान का ख़ास ध्यान रखना
  • कच्चे फलों और सब्जियों को खाने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोना
  • बाहर की चीजों और फास्ट फूड एवं कोल्ड ड्रिंक्स का अत्यधिक सेवन करने से बचना

निष्कर्ष

श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती हैं जिससे यह आसानी से संक्रमण, वायरस या बैक्टीरिया के कारण बनने वाले अन्य रोगाणुओं से लड़ता है। इन रोगाणुओं से लड़ने के लिए सिर्फ एक ही प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं की आवश्यकता नहीं होता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित कई प्रकार की कोशिकाएं होती हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक तरह से काम करने के लिए इन कोशिकाओं का सही मात्रा (ना अधिक ना कम) होना आवश्यक है। अगर आप इओसिनोफिलिया के लक्षण को खुद में अनुभव करते हैं तो आपको तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

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