निमोनिया क्या होता है – कारण, लक्षण, जांच और उपचार (Pneumonia Meaning in Hindi)
निमोनिया फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर फेफड़ों में पानी भर जाता है और उसमें सूजन आ जाती है। यह बीमारी एक या दोनों फेफड़ों में हो सकती है। निमोनिया के असली कारणों में बैक्टीरिया और वायरस का नाम सबसे पहले आता है।
निमोनिया होने पर फेफड़ों में मौजूद वायु थैली में हवा या मवाद भर जाता है। इस वजह से मरीज को खांसने और सांस लेने में परेशानी होती है। साथ ही, सीने में दर्द भी हो सकता है। समय पर इस बीमारी का उपचार नहीं करने पर मरीज की मौत तक भी हो सकती है। सीके बिरला हॉस्पिटल के इस ख़ास ब्लॉग में आज हम निमोनिया क्या होता है, इसके कारण, लक्षण, जांच और उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
Table of Contents
निमोनिया क्या है (What is Pneumonia in Hindi)
निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। इसके मुख्य कारण हैं जीवाणु या विषाणु संक्रमण। हालांकि, यह बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट्स के कारण भी हो सकता है।
इन सबके अलावा, निमोनिया सूक्ष्म जीव, कुछ खास तरह की दवाओं के सेवन और अन्य रोगों के संक्रमण के कारण भी हो सकता है। निमोनिया अधिकतर मामलों में छोटे बच्चों और बूढ़े लोगों में देखने को मिलता है। लेकिन यह दूसरी उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है।
निमोनिया के प्रकार (Types of Pneumonia in Hindi)
निमोनिया के पांच प्रकार होते हैं जिसमें बैक्टीरियल निमोनिया, वायरल निमोनिया, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, एस्पिरेशन निमोनिया और फंगल निमोनिया शामिल हैं।
-
बैक्टीरियल निमोनिया
इस प्रकार का निमोनिया विभिन्न बैक्टीरिया जैसे कि स्ट्रेप्टोकोकस निमोने के कारण होता है। इस बैक्टीरिया के कारण शरीर कमजोर हो जाता है। पोषण की कमी, किसी प्रकार की बीमारी या बुढ़ापा आदि में बैक्टीरिया से ग्रस्त होने पर बैक्टीरियल निमोनिया हो सकता है। यह निमोनिया हर उम्र के इंसान को हो सकता है।
-
वायरल निमोनिया
यह इन्फ्लुएंजा (फ्लू) के साथ-साथ विभिन्न वायरल के कारण होता है। वायरल निमोनिया से पीड़ित मरीज को बैक्टीरियल निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है।
-
माइकोप्लाज्मा निमोनिया
इस प्रकार का निमोनिया माइकोप्लासम निमोने नामक जीवाणु के कारण होता है।
-
एस्पिरेशन निमोनिया
एस्पिरेशन निमोनिया किसी प्रकार के भोजन, तरल पदार्थ या धुप से होता है। कई बार इस प्रकार के निमोनिया को ठीक करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
-
फंगल निमोनिया
फंगल निमोनिया विभिन्न स्थानों या कुछ खास कारणों से होता है जैसे कि फंगस आदि।
निमोनिया के कारण (Causes of Pneumonia in Hindi)
निमोनिया के मुख्य कारणों में वायरस, बैक्टीरिया और फंगस शामिल हैं। जब कोई संक्रमित व्यक्ति आपके सामने खांसता या छींकता है तो उस व्यक्ति के ड्रॉपलेट मुंह के जरिए आपके शरीर के अंदर चले जाते हैं। रेस्पिरेटरी वायरस जैसे कि इन्फ्लुएंजा या राइनोवायरस भी इस बीमारी का कारण बन सकते हैं।
इन सबके अलावा, मिट्टी और पक्षियों के मल से निकलने वाले कवक के कारण भी निमोनिया हो सकता है। न्यूमोनाइटिस जीरो वेसी और क्रिप्टोकोकस स्पिसीज आदि इसके उदाहरण हैं।
निमोनिया के (जोखिम) रिस्क फैक्टर (Risk Factors of Pneumonia in Hindi)
अनेक ऐसी जोखिम करक हैं जो निमोनिया की संभावना को बढ़ाते हैं। निमोनिया के मुख्य जोखिम कारकों में शामिल हैं:
- धूम्रपान करना
- कुपोषित होना
- 65 से अधिक उम्र होना
- फेफड़ों से संबंधित समस्या जैसे कि ब्रोंकाइटिटिस और अस्थमा आदि से पीड़ित होना
- स्ट्रोक की शिकायत होना
- अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होना
- दिल की बीमारी से पीड़ित होना, ऑर्गन ट्रांसप्लांट कराना या इनके कारण शरीर कमजोर होना
ऊपर दिए गए जोखिम कारक निमोनिया के खतरे को बढ़ाते हैं। अगर आप ऊपर दिए गए बिंदुओं से खुद को जोड़ पाते हैं तो आपको डॉक्टर से परामर्श कर इसके बचाव के बारे में बात करनी चाहिए।
निमोनिया के लक्षण (Symptoms of Pneumonia in Hindi)
दूसरी बीमारियों की तरह निमोनिया के भी कुछ खास लक्षण होते हैं। इन लक्षणों की मदद से आप या आपके डॉक्टर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि आपको निमोनिया है।
निमोनिया के मुख्य लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- खांसी होना
- कमजोरी होना
- थका हुआ महसूस करना
- बलगम के साथ खांसी होना
- बुखार लगना
- बेचैनी महसूस करना
- भूख में कमी आना
- पसीना और कपकपी होना
- सांस लेने में कठिनाई होना
- सीने में दर्द होना
- सांस फूलने पर तेजी से सांस लेने की कोशिश करना
अगर आप खुद में या अपने परिवार के किसी सदस्य में ऊपर दिए गए लक्षणों को देखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
निमोनिया की जांच (Diagnosis of Pneumonia in Hindi)
कुछ सामान्य लक्षणों की मदद से निमोनिया की पहचान की जा सकती है। लेकिन इसके सटीक कारण और गंभीरता की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर विशेष जांच का सुझाव दे सकते हैं। निमोनिया का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न जांच का सुझाव दे सकते हैं:
-
ब्लड टेस्ट (Blood Test)
निमोनिया के कारण के बारे में पता लगाने के लिए डॉक्टर खून जांच यानी ब्लड टेस्ट करते हैं
-
छाती का एक्स-रे (Chest X-Ray)
निमोनिया फेफड़ों को प्रभावित करता है. फेफड़ों में सूजन की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर मरीज के छाती का एक्स-रे करते हैं
-
स्प्यूटम कल्चर (Sputum Culture)
इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर मरीज के म्यूकस का जांच करके इंफेक्शन के कारण का पता लगाते हैं
-
पल्स ओक्सिमेट्री (Pulse Oximetry)
इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि मरीज के फेफड़े उसके खून में कितने प्रभाव से ऑक्सीजन भेज रहे हैं
-
सिटी स्कैन (CT Scan)
इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर मरीज के फेफड़ों की तस्वीर को साफ रूप से देख पाते हैं. इससे उन्हें फेफड़ों की स्थिति को अच्छी तरह समझने में मदद मिलती है
-
फ्लूइड सैंपल (Fluids Sample)
इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर निमोनिया के कारण को जानने की कोशिश करते हैं
इन सभी जांच की मदद से डॉक्टर को निमोनिया के सटीक कारण का पता चलता है जिसके बाद उपचार के माध्यम का चयन और उपचार प्रक्रिया शुरू होती है।
निमोनिया का उपचार (Treatment of Pneumonia in Hindi)
निमोनिया का उपचार उसके कारणों पर निर्भर करता है। निमोनिया का कारण बैक्टीरिया होने पर डॉक्टर मरीज को एंटीबायोटिक निर्धारित कर सकते हैं। साथ ही, वायरल निमोनिया की स्थिति में एंटीवायरल दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं।
निमोनिया का कारण फंगल होने पर डॉक्टर फंगल दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। दवाएं निर्धारित करने के साथ-साथ डॉक्टर अधिक से अधिक आराम करने और शरीर को हाइड्रेट रखने का सुझाव देते हैं। इन सबके अलावा, कुछ मामलों में डॉक्टर इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स, रेस्पिरेटरी थेरेपी और ऑक्सीजन थेरेपी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. निमोनिया रोग किसकी कमी से होता है?
मुख्य रूप से निमोनिया वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है। लेकिन कुछ मामलों में यह अन्य कारणों जैसे कि फफूंद और परजीवियों द्वारा भी हो सकता है।
Q2. निमोनिया होने से क्या होता है?
निमोनिया होने से मरीज को खांसी, तेज बुखार, सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई होती है।
Q3. अगर निमोनिया हो जाए तो क्या करना चाहिए?
निमोनिया होने पर आप खुद में कुछ लक्षणों का अनुभव करेंगे जैसे कि खांसी, कमजोरी, थकावट, बलगम के साथ खांसी होना, बुखार, बेचैनी, भूख में कमी आना, पसीना और कपकपी, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द होना, सांस फूलने पर तेजी से सांस लेने की कोशिश करना आदि। इन लक्षणों को अनुभव करने पर आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।